Sunday, December 22, 2024
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NCERT Panel: अब स्कूली किताबों में शामिल हो सकता है महाकाव्य, NCERT पैनल ने की सिफारिश

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NCERT Recruitment 2024: भारत सरकार द्वारा विद्यालय शिक्षा से जुड़े मामलों पर केंद्रीय सरकार और क्षेत्रीय सरकारों को सलाह देने के उद्देश्य से स्थापित की गई राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) की ओर से भर्ती से जुड़ा नोटिफिकेशन जारी किया गया है।

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NCERT Panel: स्कूल के बच्चों को अध्यात्म से और भी ज्यादा जोड़ने के लिए NCERT की तरफ से एक नई पहेली की गई है। मिली जानकारी के अनुसार राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद के पैनल ने बच्चों के सब्जेक्ट में अब भारत के महाकाव्य रामायण और महाभारत को जोड़ने की सिफारिश की है।

बच्चों को रामायण और महाभारत पढ़ाना बहुत ही महत्वपूर्ण

बता दें कि इसके लिए एक समिति का गठन किया गया था, वहीं पूरी खबर की जानकारी देते हुए समिति के अध्यक्ष सीआई इस्साक ने बताया कि कक्षा 7 से 12 तक के छात्रों को रामायण और महाभारत पढ़ाना महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, “समिति ने छात्रों को सामाजिक विज्ञान सिलेबस में रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्यों को पढ़ाने पर जोर दिया है। हमारा मानना है कि किशोरावस्था में छात्र को अपने राष्ट्र के लिए आत्म-सम्मान, देशभक्ति और गौरव का एहसास होता है।”

आगे उन्होंने कहा कि देशभक्ति की कमी के कारण हर साल हजारों छात्र देश छोड़कर दूसरे देशों में नागरिकता ले लेते हैं। इसलिए उनके लिए अपनी जड़ों को समझना, अपने देश और अपनी संस्कृति के प्रति प्रेम विकसित करना महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि कुछ शिक्षा बोर्ड वर्तमान में छात्रों को रामायण पढ़ाते हैं, लेकिन वे इसे एक मिथक के रूप में पढ़ाते हैं। अगर छात्रों को ये महाकाव्य नहीं पढ़ाए गए तो शिक्षा प्रणाली का कोई उद्देश्य नहीं है, और यह राष्ट्र सेवा नहीं होगी।

”पाठ्यपुस्तकों में इंडिया शब्द की जगह भारत नाम रखा जाना चाहिए”

बच्चों को महापाठ पढ़ाने पर आगे की जानकारी देते हुए समिति के अध्यक्ष सीआई इस्साक ने कहा था कि पैनल ने कक्षा 3 से 12 तक की किताबों में प्राचीन इतिहास के बजाय ‘शास्त्रीय इतिहास’ को शामिल करने और ‘इंडिया’ नाम को ‘भारत’ से बदलने की भी सिफारिश की थी।

जानकारी के लिए बता दें कि पैनल ने एनसीईआरटी के सामने ये भी प्रस्ताव रखा की बच्चों के पाठ्यपुस्तकों में इंडिया शब्द की जगह भारत नाम रखा जाना चाहिए। वहीं पैनल के इस प्रस्ताव का जबाव देते हुए एनसीईआरटी ने पिछले महीने कहा था कि पाठ्यक्रम विकास की प्रक्रिया अभी भी जारी है। एनसीईआरटी ने कहा, ”संबंधित मुद्दे पर मीडिया में चल रही खबरों पर टिप्पणी करना जल्दबाजी होगी।”

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