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Republic Day 2023: इस जगह फहराया गया था गणतंत्र दिवस का पहला झंडा, जानें संविधान और भीमराव अंबेडकर से जुड़ी कुछ रोचक बातें

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Republic Day 2023: हर वर्ष 26 जनवरी के दिन गणतंत्र दिवस का जश्न मनाया जाता है। इस दिन बच्चों से लेकर बूढ़ों तक सभी तिरंगे के रंग में रंगे होते हैं। इस वर्ष 2023 में 74वां गणतंत्र दिवस का उत्सव मनाया जा रहा है। तो आइए आज इस आर्टिकल में जानते हैं संविधान और भीमराव अम्बेडकर से जुड़ी कुछ जरूरी बातें।

जानें संविधान से जुड़ी कुछ बातें

हमारे भारत देश का संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ था। इतना ही नहीं भारत का संविधान विश्व का सबसे बड़ा संविधान माना गया है। इस संविधान सभा के अध्यक्ष भीमराव अंबेडकर थे। इसके अलावा संविधान सभा के कुछ सदस्य यानी जवाहरलाल नेहरू, डॉ राजेंद्र प्रसाद, सरदार बल्लभ भाई पटेल, मौलाना अबुल कलाम आजाद भी वहां मौजूद थे।

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दिल्ली में मनाया गया था देश का पहले गणतंत्र दिवस

भारत देश में सबसे पहले गणतंत्र दिवस का आयोजन दिल्ली में किया गया था। यहीं पर सबसे पहले झंडा भी फहराया गया था। सबसे पहली बार पुराना किला के सामने स्थित ब्रिटिश स्टेडियम में गणतंत्र दिवस के परेड का आयोजन किया गया था। इसे देखने के लिए लोगों की भारी भीड़ जमा हुई थी। अभी के समय में इस जगह पर चिड़ियाघर है। वहीं स्टेडियम को नेशनल स्टेडियम घोषित कर दिया गया है।

जानें संविधान से जुड़ी कुछ बातें

गणतंत्र दिवस के मौके पर संविधान से जुड़ी कुछ बातों का जानना बहुत जरूरी है। आपको बता दें, 15 अगस्त 1947 में जब हमारा देश आजाद हुआ था उसके कुछ महीनों बाद यानी 9 दिसंबर को संविधान के कार्यों को शुरू किया गया। वहीं संविधान बनने में पूरे 2 साल, 11 महीने, 18 दिन लगे। इसके बाद ही संविधान को डॉ भीमराव अंबेडकर ने स्वतंत्र राष्ट्र को समर्पित किया।

जानें डॉ भीमराव आंबेडकर के कुछ प्रेरणादायक विचार

डॉ भीमराव आंबेडकर संविधान सभा के अध्यक्ष थे। भारत के संविधान के इन्होंने अतुल्य भूमिका निभाई है। आधिकारों को देश के प्रति ये हमेशा सजक रहे हैं। इसके अलावा डॉ आंबेडकर संविधान की ड्राफ्टिंग समिति के अध्यक्ष भी रहे हैं। इनके कई सारे विचार ऐसे हैं जो लोगों के लिए प्रेरणादायक है। तो आइए जानते हैं।

1. बुद्धि का विकास मानव के अस्तित्व का अंतिम लक्ष्य होना चाहिए।

2. कानून और व्यवस्था राजनीतिक शरीर की दवा है
और जब राजनीतिक शरीर बीमार पड़े तो दवा जरूर दी जानी चाहिए।

3. शिक्षा जितनी पुरूषों के लिए आवश्यक है, उतनी ही महिलाओं के लिए भी।

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