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Supreme Court का बड़ा फैसला! Aligarh Muslim University का अल्पसंख्यक दर्जा रहेगा बरकरार; जानें दर्जे को लेकर क्यों मचा था घमासान?

Aligarh Muslim University: देश के प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के अल्पसंख्यक दर्जे को लेकर मचे घमासान के बीच सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। 7 जजों की बेंच ने 4-3 के बहुमत से एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे को बरकरार रखा है।

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Aligarh Muslim University
सांकेतिक तस्वीर

Aligarh Muslim University: सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के अल्पसंख्यक दर्जे को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट (Supreme Court) में सात जजों की बेंच ने 4-3 के बहुमत से स्पष्ट किया है कि एएमयू का अल्पसंख्यक दर्जा बरकरार रहेगा। हालांकि, कोर्ट की ओर से 3 जजों की एक बेंच ये निर्धारित करेगी कि अल्पसंख्यक दर्जे का मानदंड क्या होगा। बता दें कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (Aligarh Muslim University) के अल्पसंख्यक दर्जे को लेकर वर्षों से घमासान का दौर जारी है।

Aligarh Muslim University के अल्पसंख्यक दर्जे को लेकर SC का बड़ा फैसला

यूपी के अलीगढ़ शहर में स्थित प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान Aligarh Muslim University के अल्पसंख्यक दर्जे को लेकर उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट की ओर से स्पष्ट किया गया है कि “कानून, स्थापना तिथि या गैर-अल्पसंख्यक प्रशासन के कारण एएमयू का अल्पसंख्यक दर्जा खत्म नहीं होगा।”

चीफ जस्टिस (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाले बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि “अल्पसंख्यक संस्थान होने के लिए इसे केवल अल्पसंख्यक द्वारा स्थापित किया जाना और इसका प्रशासन अल्पसंख्यक सदस्यों द्वारा किया जाए जरूरी नहीं है। अल्पसंख्यक संस्थान धर्मनिरपेक्ष शिक्षा पर जोर देना चाह सकते हैं और इसके लिए प्रशासन में अल्पसंख्यक सदस्यों की आवश्यकता नहीं है।”

सीजेआई (DY Chandrachud) ने ये भी कहा है कि “अनुच्छेद 30 कमजोर हो जाएगा यदि यह केवल उन संस्थानों पर लागू होता है जो संविधान लागू होने के बाद स्थापित किए गए हैं। इस प्रकार अल्पसंख्यकों द्वारा स्थापित शैक्षणिक संस्थान जो संविधान लागू होने से पहले स्थापित किए गए थे, वे भी अनुच्छेद 30 द्वारा शासित होंगे।” कोर्ट की ओर से तय किया गया है कि 3 जजों की बेंच अल्पसंख्यक दर्जे का नया मानदंड तय करेगी जिसके आधार पर शिक्षण संस्थानों को अल्पसंख्यक का दर्जा दिया जाएगा।

AMU के अल्पसंख्यक दर्जे को लेकर क्यों मचा था घमासान?

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) वर्षों से विवाद के केन्द्र में रहा है। दशकों पहले 1967 में एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे को लेकर कानूनी विवाद शुरू हुआ। उस दौर में एएमयू की ओर से याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि “मुसलमानों ने एएमयू की स्थापना की थी और इसलिए इसे चलाना और प्रबंधन करने का अधिकार उनको है।” एएमयू के अल्पसंख्य दर्जे को लेकर लोकसभा चुनाव में भी खूब बहस हुई। चुनावी मंचों से सवाल उठे कि केन्द्र सरकार द्वारा फंड उपलब्ध कराए जाने के बावजूद एएमयू को अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा क्यों?

इसी दौर में सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल की गईं जिसमें AMU के अल्पसंख्यक दर्जे को समाप्त करने की बात कही गई थी। इन्हीं लंबित याचिकाओं को लेकर पहले सुनवाई हुई और आज सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए AMU के अल्पसंख्यक दर्जे को बरकरार रखने की बात कही है।

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