Teacher’s Day 2023: ‘गुरू बिन ज्ञान न होय’ सालों बाद भी यह पंक्ति उतनी ही प्रासंगिक और जरूरी लगती है, जितनी की पहले कभी रही हो. गुरू और शिष्य के रिश्ते को बयां कर पाना इतना आसान काम नहीं है, ऐसे ही गुरूजनों को सम्मान देने के लिए हर साल शिक्षक दिवस मनाया जाता है. हर साल यह दिन 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में इसे देश और दुनियां के सभी शिक्षकों के महत्व को याद रखने के लिए मनाया जाता है. आइए इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-
क्या है शिक्षक दिवस का इतिहास
हर शिक्षक कभी न कभी छात्र जरूर होता है, इसलिए वो न केवल अपने छात्रों के लिए सफलता के रास्ते तलाशने में मदद करता है बल्कि मुश्किलों को छोटा कर उन्हें अवसरों में भी बदल देता है. शिक्षक दिवस का दिन हमारे देश के पहले उपराष्ट्रपति, दूसरे राष्ट्रपति, एक महान दार्शनिक के रूप में ख्याति प्राप्त डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन के उपलक्ष में मनाया जाता है. जहां हर व्यक्ति उन्हें याद कर जीवन में कुछ बेहतर करने की प्रेरण लेता है.
शिक्षक दिवस का महत्व
कहा जाता है कि जिंदगी में आगे बढ़ने और कुछ खास करने के लिए एक अच्छे शिक्षक की जरूरत होती है. वो न केवल जीवन में सही रास्ते दिखाता है, बल्कि हमारे मन में अच्छे और बुरे की समझ को भी विकसित करता है. ऐसे ही शिक्षकों के महत्व के लिए इस दिन को चुना गया है. इस दिन स्कूलों और शिक्षण संस्थानों में सांस्कृतिक क्रायक्रमों का आयोजन किया जाता है. साथ ही राज्य स्तरीय और राष्ट्रीय स्तर पर बेहतर काम करने वाले शिक्षकों को सम्मानित भी किया जाता है. वहीं इस साल भी 75 चुने हुए शिक्षकों को ‘राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2023’ के तहत दिल्ली के विज्ञान भवन में पुरस्कृत किया जाएगा. इन्हें कोई और नहीं बल्कि देश की राष्ट्रपति द्रौपदि मुर्मु खुद पुरस्कारों से सम्मानित करेंगी.
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