72 Hoorain: सच्ची घटनाओं पर आधारित फिल्में देखना लोगों को काफी पसंद है और यही वजह है कि मेकर्स कुछ ऐसा बनाना चाहते हैं जो बाकी फिल्मों से अलग हो। भारत और पाकिस्तान के बीच का रिश्ता और आतंकवाद जगजाहिर है और ऐसे में संजय पूरण सिंह चौहान ने ’72 हूरें’ के जरिए इस बात को साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ा है कि कैसे ब्रेनवाश कर जेहाद जैसी घिनौनी हरकत की जा रही है। ’72 हूरें’ उन लोगों के लिए है जो इस तरह की तमाम दलदल में फंसकर अपनी जिंदगी बर्बाद कर लेते हैं। इस फिल्म में बहुत कुछ खास है जो आपको इसे देखने के लिए मजबूर कर देगी। यही वजह है कि फिलहाल यह फिल्म सोशल मीडिया पर ट्रेंड में है। आइए जानते हैं आखिर क्या है इस फिल्म में खास।
उम्दा कलाकारी ने जीता लोगों का दिल
संजय पूरन सिंह चौहान के निर्देशन में बनी इस फिल्म में पवन मल्होत्रा और आमिर बशीर ने मुख्य किरदार निभाया है। इस बात में दो राय नहीं है कि दोनों की उम्दा कलाकारी की वजह से उनको एक अलग पहचान मिली है। आतंकवादी के किरदार में पवन और आमिर दोनों खूब जंच रहे हैं और लोग उन्हें खूब पसंद भी कर रहे हैं। इस बात में कोई दो राय नहीं है कि दोनों ही अपने किरदार को बखूबी निभाने की वजह से जाने जाते हैं। इस फिल्म में उन्होंने इस बात को साबित कर दिया है।
क्या है इस फिल्म की कहानी
’72 हूरें’ की कहानी की बात करें तो यह हाकिम (पवन मल्होत्रा) और साकिब (आमिर बशीर) के इर्द-गिर्द घूमती है जो एक मौलाना के चंगुल में फंस जाता है। यहां उसका ब्रेनवाश किया जाता है इनसे कहा जाता है कि अगर वह जेहाद करते हैं तो उन्हें सीधे जन्नत नसीब होगी। इतना ही नहीं ’72 हूरें’ भी मिलेगी। जिसके बाद ये जन्नत पाने के लिए निकल जाते हैं और गेटवे ऑफ इंडिया के नजदीक आत्मघाती हमले करते हैं। मौलाना का कहना होता है कि जेहाद के बाद उन्हें जन्नत में काफी इज्जत मिलेगी और उनके स्वागत के लिए बहुत कुछ खास होगा। इतना ही नहीं इनके अंदर 40 लोगों की ताकत आ जाएगी। इन सब लालच की वजह से हाकिम और साकिब यह सब करने के लिए तैयार हो जाते हैं। बाद में कुछ और होता है जहां दोनों की मौत हो जाती है और उन्हें जन्नत तो क्या उनकी अंतिम संस्कार भी नसीब नहीं हो पाती है। ना उनकी मौत के बाद नमाज अदा की जाती है ना कुछ और। ऐसे में आखिर क्या होगा इन दोनों के साथ और क्या है इसकी पूरी कहानी। इसे जाने के लिए आपको फिल्म को देखने के लिए जाना होगा।
किसी भी धर्म को ठेस ना पहुंचे यह फिल्म की कहानी की खासियत
’72 हूरें’ की कहानी अनिल पांडेय ने लिखी है और उन्होंने इस बात को बखूबी ध्यान रखा है कि किसी भी धर्म को ठेस ना पहुंचे। धर्म और जाति के नाम पर फिल्मों को निशाना साधा जाता है और उन्हें बायकाट का सामना भी करना पड़ता है। ऐसे में अनिल ने इस बात पर पूरी तरह फोकस किया और यह कहानी लिखी है। इस कहानी को जानने के बाद शायद आपके रोंगटे खड़े हो जाएं क्योंकि धर्म के नाम पर जो अधर्म को फॉलो करते हैं उन्हें सबक सिखाने के लिए है और जो जेहाद जैसी चीजों में पड़ते हैं उनके लिए यह फिल्म आईना है।
ब्लैक एंड व्हाइट दुनिया में घूमती है यह फिल्म
यह फिल्म मोनोक्रोम के तहत बनाई गई है तो ज्यादा सीन आपको ब्लैक एंड व्हाइट ही देखने की मिलेंगे। बहुत कम सीन्स हैं जिसमें कलर्स का यूज़ किया गया है और कलरफुल है। ऐसे में आपको ब्लैक एंड व्हाइट जमाने का लुत्फ उठाने के लिए इस फिल्म को जरूर देखना चाहिए। वहीं अगर आप सच्ची घटनाओं पर आधारित फिल्में पसंद करते हैं तो यह फिल्म आपके लिए है।
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