Alia Bhatt: जिगरा (Jigra) फिल्म में नजर आने वाली आलिया भट्ट (Alia Bhatt) किसी न किसी वजह से सुर्खियों में बनी रहती है। यह सच है कि उनकी एक जबरदस्त फैन फॉलोइंग है जो उनके बारे में हर एक बात जानने के लिए बेताब रहते हैं। ऐसे में एक्ट्रेस ने सालों बाद ADHD बीमारी का खुलासा किया हालांकि उन्होंने बताया कि वह इस बीमारी से जीत चुकी है। उन्होंने यह भी कहा कि स्कूल के दौरान इसकी वजह से उन्हें कितनी तकलीफ होती थी। ऐसे में हर पेरेंट्स को यह जानना जरूरी है कि आखिर क्या हे ADHD जिसकी वजह से आलिया रही है परेशान। जरूर जानें इसके लक्षण और बचाव के उपाय।
क्या है ADHD जिससे Alia Bhatt भी रही पीड़ित
ADHD यानी Attention-Deficit/Hyperactivity Disorder यह एक मानसिक विकार है जो व्यक्ति के व्यवहार को प्रभावित करता है। इसकी वजह से एक इंसान के व्यवहार में काफी बदलाव आपको देखने को मिल सकते हैं और पीड़ित को काफी परेशानियों का भी सामना करना पड़ सकता है। समय रहते इस पर काम करने की जरूरत होती है। आम तौर पर इसके लक्षण बचपन में ही शुरू हो जाते हैं और आप इस पर ध्यान स्कूल जाने वाले बच्चों पर कर सकते हैं।
क्या है ADHD Symptoms
- ADHD से पीड़ित बच्चे अपने आप को एक जगह पर केंद्रित नहीं कर पाते हैं। वह अपने किसी भी काम को पूरा नहीं कर पाते हैं और उस पर जुटे रहते हैं।
- इसके साथ-साथ ही वह कुछ ज्यादा ही एक्टिव होते हैं जो उनके लिए नुकसानदायक हो सकता है। इसकी वजह से उन्हें अत्यधिक बेचैनी होने लगती है या वे लगातार हिलते-घुलाते रहते हैं। वे स्थिर नहीं रह सकते।
- इसके अलावा इंपल्सिव होना उनके बर्ताव में आ जाता है। ऐसे बच्चे बिना सोचे समझे कोई भी काम करने लगते हैं। बात करने वाले लोगों को बीच में रोक देते हैं और खुद पर नियंत्रण नहीं रख पाते हैं।
कब पता कर सकते हैं ADHD बीमारी का
अगर इस बीमारी के बारे में बात करें तो 12 साल के उम्र से पहले इस बीमारी का पता लगाया जा सकता है। इसका इलाज भी संभव है जैसे-जैसे उम्र बढ़ने लगती है इसकी वजह से और परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
ADHD को इस तरह करें कंट्रोल
मेडिटेशन है जरूरी
मेडिटेशन के जरिए ADHD को कंट्रोल किया जा सकता है। ऐसे में आप डॉक्टर से कंसल्ट करें और जरूरी मेडिसिन करें ताकि इसके लक्षण को कम किया जा सके।
बिहेवियर थेरेपी भी है एक उपाय
डॉक्टर से कंसल्ट करने के बाद आप बिहेवियर थेरेपी को भी ट्राई कर सकते हैं और निश्चित तौर पर यह आपके लिए मददगार साबित हो सकता है। 6 साल से अधिक उम्र के बच्चे इस पर काम कर सकते हैं।
साइकोलॉजिकल थेरेपी भी है फायदेमंद
कई केसेस में बच्चों को साइकोलॉजिकल थेरेपी भी दिया जाता है लेकिन इस बात का खास ख्याल रखें कि आप सबसे पहले मनोचिकित्सक से संपर्क करें।
फैमिली का सपोर्ट
इस दौरान यह जरूरी है कि आप अपने बच्चों के साथ रहे और उनकी हर एक परेशानी पर ध्यान दें। ताकि उन्हें अकेला न महसूस हो।
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