Friday, November 22, 2024
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Chhath Puja 2024: ‘अब छठ छठ ना रहा’ कहकर दरभंगा के Sanjay Mishra हुए इमोशनल, यूं ही नहीं बिहार के लोग करते हैं इंतजार

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Chhath Puja 2024: भारत के विभिन्न हिस्सों में आज छठ पूजा (Chhath Puja 2024) का पावन पर्व धूम-धाम के साथ मनाया जा रहा है। महिलाएं छठ माता के पूजन और संध्या अर्घ्य (Sandhya Arghya) के लिए छठ घाट पर पहुंच रही हैं।

Chhath Puja 2024: छठ (Chhath Puja) एक पर्व नहीं बल्कि यह एक फीलिंग है। बिहार के लोगों के बीच इस फेस्टिवल को लेकर किस तरह जोश और उमंग देखा जाता है यह बताने की जरूरत नहीं है। तभी घर से दूर रहने वाला हर शख्स छठ का नाम सुनते ही इमोशनल हो जाते हैं। न सिर्फ आम लोग बल्कि खास लोगों में भी इस पर्व को लेकर अलग ही खुमार देखने को मिलता है और इन्हीं में से एक है संजय मिश्रा (Sanjay Mishra) जिन्होंने छठ को अपने बचपन की याद बताया है। संजय मिश्रा ने यह क्यों कहा कि छठ अब छठ नहीं रहा। बिहार के दरभंगा में जन्म लेने वाले संजय मिश्रा छठ को लेकर इमोशनल नजर आए।

Chhath Puja 2024: Sanjay Mishra ने बताया ‘बचपन की याद’

जोगीरा सा रा रा रा, भूल भुलैया 2, भोला, सर्कस, वध जैसी फिल्मों में नजर आने वाले संजय मिश्रा अपनी एक्टिंग से लोगों के दिलों में एक अलग छाप छोड़ चुके हैं। ऐसे में उन्होंने छठ को लेकर जो कहा वह निश्चित तौर पर काफी इमोशनल है। उन्होंने कहा, “मैं छठ को अपने बचपन से रिलेट करता हूं लेकिन अब नहीं रिलेट कर पाता हूं क्योंकि मेरे दादा नहीं रहे जो उंगली पकड़ के ले जाने वाले थे।”

क्यों Sanjay Mishra के लिए बदला Chhath Puja के मायने

उन्होंने कहा, “मैं कल ही सोच रहा था इस बारे में मेरे पिता नहीं है जगाने वाले।” वही होस्ट कहता है “उठो भोर का अर्घ्य है आज घाट छेकने जाना है।” जब उनसे यह पूछा जाता है की बचपन में घाट छेकने जाते थे। इस पर पंकज मिश्रा कहते हैं, “अरे अब तो छठ के समय ठंड भी नहीं पड़ती है। उस समय तो बाप रे बाप।” वह कहते हैं कि उस समय सब चाचा आते थे बुआ आती थी अब वही लोग नहीं रहे इसमें बुरा मानने वाली बात नहीं है। संजय मिश्रा ने बताया कि पहले की छठ काफी अलग था। उस समय की ठंड से लेकर दादा-पापा की यादें इस त्यौहार को स्पेशल बनाता था।

Chhath Puja 2024: पारिवारिक मूल्यों को विकसित करता है छठ पर्व

बिहार के लोगों के लिए छठ निश्चित तौर पर एक इमोशन है और इस दौरान घर से दूर रहने वाले लोग भी कई परेशानियों का सामना कर अपने घर पहुंचना चाहते हैं ताकि वह इस पर्व को देख सके। छठ पूजा के दौरान इस एक उत्सव का हिस्सा बनने के लिए ट्रेन की भीड़ और दिक्कत को भूलकर वे घर पहुंचते हैं ताकि वह अपने घर की साफ-सफाई कर सके तो घाट को छेक सके। पारिवारिक मूल्यों को ध्यान में रखते हुए इस त्यौहार के दौरान लोग बढ़चढ़ कर परिवार के साथ खुशियों के इस दिन को मनाते हैं। बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक में इस पर्व का खुमार देखा जाता है।

Chhath Puja परिवार को करता है एकजुट

आज चाहे मॉडर्न ख्याल और सोच बदल गए हो लेकिन इस पर्व को लेकर ख्याल आज भी पुराने हैं। लोग बिजी लाइफस्टाइल से दूर अपने गांव पहुंचते हैं और इस दौरान दादी-नानी के साथ इस पर्व को एंजॉय करते हैं। सबके साथ मिलकर छठ की तैयारी करते हैं और घाट पर छठ मैया के लिए डाला लेकर कौन जाएगा इसके लिए भाई-भाई में लड़ाई होती है। यह निश्चित तौर पर भावनाओं का समावेश है जहां चाचा-चाची बुआ-फूफा सब एक साथ मिलकर खड़े होते हैं और छठ मैया को अर्घ्य देते हैं। रात में जगकर प्रसाद बनाया जाता है। पहले शाम के समय अर्घ्य देकर घर वापस पहुंचते हैं और फिर सुबह की तैयारी में जुट जाते हैं यही है छठ का महा पर्व।

Chhath Puja महापर्व का रहता है इंतजार

4 दिनों तक चलने वाले इस महापर्व की शुरुआत नहाय-खाय से होती है और इस दिन घर के हर एक कोने की सफाई की जाती है। नहाने के बाद सेंधा नमक से बने खाने को खाया जाता है और शुद्धता का खास ख्याल रखा जाता है। दूसरे दिन खरना होता है जिसमें खीर और गेहूं की रोटी के साथ केले का भोग लगाया जाता है। शाम के अर्घ्य में ढलते सूरज को अर्घ्य दिया जाता है तो सुबह के अर्घ्य में उगते सूरज की पूजा की जाती है। Chhath Puja 2024 की बात करें तो 5 नवंबर को नहाय-खाय तो 6 नवंबर को खरना है। 7 नवंबर को शाम का अर्घ्य और 8 नवंबर को सुबह में सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। यह पर्व भले ही सुबह अर्घ्य के साथ खत्म हो जाता है लेकिन बिहार के लोग अगले छठ की प्रतीक्षा करने लगते हैं।

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Anjali Wala
Anjali Walahttp://www.dnpindiahindi.in
अंजलि वाला पिछले कुछ सालों से पत्रकारिता में हैं। साल 2019 में उन्होंने मीडिया जगत में कदम रखा। फिलहाल, अंजलि DNP India वेब साइट में बतौर Sub Editor काम कर रही हैं। उन्होंने बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी से हिंदी पत्रकारिता में मास्टर्स किया है।

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