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First Film in India: दुनिया की पहली फिल्म और भारत की सिनेमाई शुरुआत के बीच क्या है सामान्य?

First Film in India: क्या आप जानते हैं कि आखिर दुनिया में कब बनाई गई पहली फिल्म और भारत की पहली फिल्म कौन सी थी। दोनों फिल्मों के बीच एक खासियत क्या आप जानते हैं।

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Exploring the Shared Legacy
Exploring the Shared Legacy

First Film in India: फिलहाल 2024 में कई फिल्में बन रही है और लोग इसे खूब इंजॉय भी कर रहे हैं। थिएटर में एक दिन में कई फिल्में रिलीज हो रही है लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत की सबसे पहली फिल्म कौन सी थी और यह कब बनी थी। इसके निर्देशक कौन थे इससे भी हटकर क्या आप यह जानते हैं कि विश्व की सबसे पहली फिल्म कौन सी है। यह कब रिलीज हुई। आज हॉलीवुड से लेकर बॉलीवुड तक में फिल्मों के साथ कई एक्सपेरिमेंट किए जाते हैं लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि दुनिया की सबसे पहली फिल्म और भारत की पहली फिल्म में एक चीज विशेष थी। आइए जानते हैं।

भारत की पहली फिल्म की शुरुआत

जहां तक भारत की बात करें तो देश की सबसे पहली फिल्म राजा हरिश्चंद्र है जो साल 1913 में रिलीज हुई थी। पहली भारतीय फिल्म राजा हरिश्चंद्र के निर्देशक दादा साहब फाल्के थे और फिल्मों को यहां तक पहुंचाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका है जो वाकई सराहनीय है अगर इस फिल्म की बात करें तो यह एक साइलेंट फिल्म थी। ब्लैक एंड व्हाइट और साइलेंट होने के बावजूद भारतीय फिल्म की दुनिया में इसने नींव रखी थी। राजा हरिश्चंद्र की बात करें तो यह मराठी में थी और यही वजह है कि फालके को फादर ऑफ़ इंडियन सिनेमा कहा जाता है।

दुनिया की पहली फिल्म

वहीं दुनिया की सबसे पहली फिल्म की बात करें तो यह 1888 में रिलीज हुई थी। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि यह सिर्फ 2 सेकंड की फिल्म थी। दिलचस्प बात यह है कि यह भी एक साइलेंट सिनेमा थी जो फ्रेंच इन्वेंटर Louis Le Prince ने बनाई थी। दुनिया में पहली दफा फिल्म की नींव रखी गई और फिल्म का नाम रखा गया राउंडहे गार्डन सीन।

सिनेमा की नींव रखने में कामयाब फिल्मों की एक समानता

खास बात यह है कि विश्व की पहली फिल्म और भारत की पहली फिल्म दोनों ही साइलेंट थी। दुनिया की पहली फिल्म इंग्लैंड के लीड्स में रिकॉर्ड की गई थी जिसमें प्रिंस के परिवार के कुछ सदस्य एक बगीचे में घूमते हुए नजर आते हैं और कुछ ऐसा ही राजा हरिश्चंद्र के साथ भी हुआ। लेकिन दोनों ही फिल्में मूक होने के बावजूद फिल्मों की नींव रखने में कामयाब रही।

100 से ज्यादा साल की मेहनत और इतिहास गवाह

करीब डेढ़ सौ साल पहले की मेहनत है जो आज हम थिएटर में बैठकर लुत्फ उठा पाते हैं क्योंकि इस पर बहुत पहले से काम जारी है। पहले मूक फिल्म और अब बेहतरीन साउंड क्वालिटी के साथ फिल्में बनाई जा रही है। 2 सेकंड की शॉर्ट फिल्म अब 3 घंटे से 4 घंटे तक की बनाई जा रही है। आज बेहतरीन साउंड क्वालिटी और पिक्चर क्वालिटी के साथ-साथ काफी एक्सपेरिमेंट किए जाते हैं ताकि दर्शक इसे इंजॉय कर सके। यहां से सिनेमा की नींव रखी गई और इसके बाद जो हुआ वह जग जाहिर है और इतिहास गवाह है।

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