Pawan Kalyan: टॉलीवुड के मशहूर एक्टर की लिस्ट में शुमार पवन कल्याण ने आंध्र प्रदेश चुनाव में ऐतिहासिक जीत दर्ज करने के बाद अपने नाम एक रिकॉर्ड हासिल कर लिया। साउथ इंडस्ट्री के मंजे हुए कलाकार की लिस्ट में शुमार पवन को किसी पहचान की जरूरत नहीं है। उनकी एक जबरदस्त फैन फॉलोइंग है। शायद यही एक वजह है कि आंध्र प्रदेश चुनाव में भी पवन कल्याण का जलवा कायम रहा और वह भारी मतों से जीत हासिल करने में कामयाब रहे। उनकी जीत निश्चित तौर पर टॉलीवुड फैंस के लिए तोहफे से कम नहीं है। ऐसे में आइए जानते हैं पवन कल्याण का टॉलीवुड से लेकर राजनीति तक का शानदार सफर।
भारी मतों से जीत
पवन कल्याण की जनसेवा पार्टी ने शानदार प्रदर्शन किया और लोकसभा में 2 के साथ विधानसभा में 21 सीटें पाने में सफल रही। यह अपने आप में टॉलीवुड एक्टर के लिए किसी माइलस्टोन से कम नहीं है क्योंकि उन्होंने साबित कर दिया कि न सिर्फ एक्टिंग बल्कि राजनीति में भी उनका कोई जवाब नहीं है। शायद यही वजह है कि वह भारी मतों से जीत दर्ज करने में कामयाब रहे।
अपनी अलग छवि बना चुके Pawan Kalyan
पवन कल्याण ने अपने भाई चिरंजीवी के दम में पर साउथ इंडस्ट्री में डेब्यू को जरूर किया था लेकिन अपनी एक्टिंग और दिल छूने वाले बिहेवियर की वजह से उन्हें एक अलग पहचान मिली थी। वह फैंस के दिलों में अपनी एक अलग छवि बनाने में कामयाब रहे और लोग उनकी एक्टिंग के दीवाने हो गए। वह टॉपएक्टर्स की लिस्ट में शुमार हो गए और ऐसे में उनका राजनीतिक सफर वाकई काफी दिलचस्प है।
परिवार में जश्न
इससे पहले मेगास्टार चिंरजीवी का राजनीतिक कैरियर कुछ खास दिलचस्प नहीं रहा लेकिन उनके भाई पवन कल्याण ने लंबे दशक के बाद राजनीति में जबरदस्त जीत हासिल कर एक रिकॉर्ड कायम किया। निश्चित तौर पर यह उनके भतीजे रामचरण और अल्लू अर्जुन के लिए किसी जश्न से कम नहीं है।
कुछ इस तरह राजनीति की शुरुआत
पहले पवन चिरंजीवी की पार्टी प्रजा राज्यम पार्टी में युवा राज्यम विंग के प्रमुख थे। प्रजा राज्यम पार्टी के कांग्रेस में विलय होने पर पवन कल्याण ने पार्टी को छोड़ दिया। उन्होंने 2014 में चुनाव तो नहीं मिल रहा लेकिन बीजेपी के साथ टीडीपी का समर्थन किया। जब 2019 में उन्होंने अकेले चुनाव लड़ा तब उन्हें हार का सामना करना पड़ा जिसकी वजह से उन्हें खूब ट्रोल भी किया गया। लोगों की तरफ से उन्हें नेगेटिव प्रतिक्रिया मिली और उनके पर्सनल लाइफ पर भी सवाल उठाए गए।
यूं ही नहीं पवन हैं गेम चेंजर
उन्होंने हार नहीं मानी और खुद को राजनीति के सफर में एक अलग मुकाम तक ले जाने के लिए उन्होंने काफी मेहनत की। यही वजह है कि उनकी राजनीतिक परिपक्वता और समझ की वजह से आज उन्होंने वह मुकाम हासिल कर लिया है। जो कल तक उन्हें ट्रोल करते थे वह आज उनकी तारीफ करते हुए नहीं थक रहे हैं। निश्चित तौर पर वह मास्टरमाइंड और गेम चेंजर कहलाने के काबिल हैं।
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