Monday, November 25, 2024
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Autism: लड़के ही नहीं लड़कियां भी हो सकती है पीड़ित, इन लक्षणों पर हमेशा करें गौर और रहें सावधान

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Autism: ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर एक विकास डिसेबिलिटी है जिससे पीड़ित बच्चे अन्य बच्चों की तुलना में काफी अलग होते हैं। वैसे तो लड़कों में ऑटिज्म के लक्षण ज्यादा देखने को मिलते हैं लेकिन कभी-कभार लड़कियां भी इससे प्रेरित हो जाती है। ऐसे में जरूरी है कि इसके बारे में ध्यान रखें और अगर बच्चों में दिखे लक्षण तो हो जाएं सावधान ताकि समय रहते इसका इलाज हो सके। रिपोर्ट में वैसे तो दावा किया जाता है कि लड़कियों की तुलना में लड़के इस बीमारी से चार गुना अधिक पीड़ित है। ऐसे में आइए जानते हैं ऑटिज्म के लक्षण और देखभाल के उपाय।

पेरेंट्स को ध्यान देना जरूरी

एक रिपोर्ट में यह दावा किया जा रहा है कि ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर लड़कों में ही नहीं लड़कियों में भी बड़ी मात्रा में होता है। ऐसे में पेरेंट्स को ध्यान देना जरूरी है कि आप उन लक्षणों को पहचाने क्योंकि ये काफी अलग होते हैं और इसे पहचानना भी मुश्किल हो सकता है। ऑटिज्म पीड़ित बच्चे बातचीत करने आवाज सुनकर रिएक्शन देने और कई अलग-अलग गतिविधियां करते हैं जिससे इस बीमारी को आसानी से पकड़ा जा सकता है।

ये लक्षण भी है खतरनाक

  • ये बच्चे कुछ भी बोलने में नहीं हिचकते हैं। भले ही उसके बाद के कोई मायने ना हो और ना ही वह किसी के ताने को समझ पाते हैं।
  • तेज आवाज, तेज रोशनी और कुछ भी अगर अचानक हो जाए तो वह रिएक्शन तो देगी लेकिन इसे सरेआम जाहिर करने में हिचकिचाएगी।
  • ऑटिज्म से पीड़ित लड़कियों की अगर बात करें तो यह आपके साथ बाहर तो जाती है लेकिन इस दौरान वह काफी स्ट्रेसफुल रहती है।
  • अगर आपकी लड़की किसी भी समान को उठाकर फिर वापस वहीं पर रख देती है और एक सख्त रुटिन को फॉलो कर रही है तो आपको संभल जाने की जरूरत है।
  • अगर इसमें लक्षण की बात करें तो वैसे तो हर लड़कियां गुड़िया से खेलना पसंद करती है लेकिन अगर आपके बच्चे की रुचि कुछ ज्यादा ही है तो सावधान होने की जरूरत है।

घर पर इस तरह करें इलाज

  • ऑटिज्म से पीड़ित बच्चे के लिए जरूरी है कि आप बड़े उनका साथ दे ताकि वह खुद को संभालने का मौका दे सके।
  • नियमित तौर पर आप अपने बच्चों से बातचीत करें और उनसे कम्युनिकेशन स्किल्स डेवलप करने की कोशिश करें।
  • छोटी उम्र में उन्हें किसी भी बात का स्ट्रेस ना हो और वह बेजिझक अपने मन की कर सके।
  • आपका बच्चा कुछ अच्छा कर रहा है तो आप उसे और भी मोटिवेट करें ताकि वह आगे और भी कुछ अलग करने की कोशिश कर सकें।
  • सरल शब्दों के माध्यम से अपने दिनचर्या को दिखाएं ताकि बच्चे उससे कुछ सीखे और समझे।

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Anjali Wala
Anjali Walahttp://www.dnpindiahindi.in
अंजलि वाला पिछले कुछ सालों से पत्रकारिता में हैं। साल 2019 में उन्होंने मीडिया जगत में कदम रखा। फिलहाल, अंजलि DNP India वेब साइट में बतौर Sub Editor काम कर रही हैं। उन्होंने बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी से हिंदी पत्रकारिता में मास्टर्स किया है।

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