Glaucoma: अक्सर लोग दवाओं का सहारा खुद को बेहतर बनाने के लिए इस्तेमाल करते हैं लेकिन बाजार में कुछ ऐसी भी दवाइयां आ रही है जो आपको और ज्यादा बीमार बना सकती हैं। ग्लूकोमा जिसे काला मोतियाबिंद कहा जाता है उसके बारें में तो हम सब जानते हैं। इससे धीरे-धीरे लोगों की आंख की रोशनी चली जाती है। ऐसा कहा जाता है कि, यदि ग्लूकोमा या मोतियाबिंद से किसी की भी आंखों की रोशनी चली जाए तो वह किसी भी उपचार से वापस नहीं आ सकती है।
मोतियाबिंद से लोगों हो जाते है अंधे
एम्स के डॉक्टर कहते है कि, आंखों में डाले जाने वाली विशेष दवा भी हमारी आंखों में इस बीमारी को पैदा कर सकती हैं। उन्होंने बताया कि, ग्लूकोमा आंख के बाहरी नहीं बल्कि अंदरूनी हिस्से की बीमारी है। उन्होंने बताया कि, इस बीमारी से आंख की ऑप्टिक्स नर्व ब्रेन को संकेत नहीं भेज पाती है लिहाजा आंख के सामने अंधेरा रहता है और कुछ भी दिखाई नहीं देता। ग्लूकोमा या काला मोतियाबिंद लोगों को अंधा बना देती है।
एलर्जी की दवा से का बढ़ाता है खतरा
डॉक्टर तनुज ने कहा कि, ज्यादा गर्मी प्रदूषण और धूल वाले इलाकों में लोगों को अक्सर आंखों में एलर्जी या खुजली की शिकायत होती है। ऐसे में लोग अपनी एलर्जी को दूर करने के लिए मेडिकल स्टोर पर जाकर खुद ही आंखों की दवाई ले आते हैं। उन्होंने बताया कि, कई महीने तक ऐसा करने वाले लोग ग्लूकोमा या फिर काला मोतियाबिंद की बीमारी चपेट में आ जाते हैं।
डायबिटीज और हाई बीपी वालें लोगों को बनाती है शिकार
उन्होंने बताया कि, अगर आपके परिवार में किसी को भी काला मोतियाबिंद है तो परिवार के अन्य लोगों को भी इस बीमारी के होने का खतरा बढ़ जाता है। इसी के साथ डायबिटीज और हाई बीपी वाले मरीजों में भी आंखों में ग्लूकोमा होने की शिकायत काफी हद तक बढ़ जाती है। डॉक्टर ने कहा कि, अगर किसी की एक आंख में काला मोतिया बंद है तो दूसरी आंख में भी इसके होने का खतरा बढ़ जाता है। खासतौर पर एडल्ट की आंखों में नंबर प्लस या माइनस में तेजी से बढ़ रहा है तो उन्हें भी बीमारी का देश काफी हद तक बढ़ जाता है।
Also Read: Lalu Family ED Raids को लेकर बोले मल्लिकार्जुन खड़गे, कहा- “पानी हो रहा सिर से ऊपर”
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों को केवल सुझाव के रूप में लें, DNP INDIA न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है। इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।