Monday, December 23, 2024
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Health Tips: जेंडर बदलवाते समय इन दिक्कतों का करना पड़ता है सामना , जानें एक्सपर्ट के खास सुझाव

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Health Tips: भारत जैसे देश में आज भी जेंडर के हिसाब से लोगों को केवल दो ही वर्गों में विभाजित किया जाता है। यदि उन्हें कोई तीसरे जेंडर का इंसान दिखता है, तो वह उन्हें सामान्य लोगों को दर्जा नहीं देते हैं। वह उन्हें एक अलग तरह की नजर से देखते हैं। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने साल 2014 में थर्ड जेंडर को सामान्य मेल और फीमेल जेंडर की तरह ही दर्जा देने की बात कहीं थी। जिसके बाद अब हर जगह ट्रासजेंडर को नार्मल लोगों की तरह देखा जाएगा। दर्जा मिलने के बाद भी इन लोगों को उस तरह का सम्मान और प्यार समाज में आज तक नहीं मिला है। कई बार लोग अपनी मर्जी और पसंद के चलते अपने जेंडर को बदलना चाहते हैं। लेकिन जेंडर को बदलने के बाद लोगों को बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जिसे कई बार उनके हेल्थ पर काफी बुरा असर पड़ता है। आज इस आर्टिकल के जरिए आपको जेंडर को बदलते समय होने वाली दिक्कतों के बारे में प्रसूति और स्त्री रोग विभाग में काम कर रही डॉ. चेतना जैन के द्वारा बताई गई सभी बातों के बारे में बताया जाएगा।

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मानसिक तनाव बढ़ता है

जेंडर बदलवाना बोलने में जितना आसान लगता है, वास्तव में उतना होता नहीं है। जेंडर चेंज होने के बाद इंसान को कई दिक्कतों का सामना अकेला ही करना पड़ता है। जिसके चलते इंसान कई चीजों का एक साथ स्ट्रेस लेने लगता हैं और अपनी मानसिक स्थिती को खराब करता है। जेंडर बदलवाने के बाद 40 प्रतिशत ट्रासजेंडर खुद अपने इस फैसले पर अफसोस करते हैं।

इनफर्टाइल का खतरा

कई बार पेट में टेस्टिस काफी लंबे समय तक रह जाते हैं। जिसे आगे जाकर इसमें बहुत सी दिक्कते देखने को मिलती हैं। खासतौर से इनमें इनफर्टाइल की समस्या उत्पन्न होती है। पेट का तापमान अधिक हो जाने के कारण टेस्टिस अपनी जगह से नीचे की ओर खिसकने लगते हैं।

दिल से संबधित परेशानियां

जब कोई थर्ड जेंडर अपना जेंडर चेंज करने के बारे में सोचता है, तो उन्हें दिल से संबधित कई सारी परेशानियों से लड़ने के लिए अपने आप को तैयार करना पड़ता है। इन सारी परेशानियों की खास वजह खासतौर से जननांग में कमी होना बताई जाती है।

हार्मोन इंजेक्शन का बुरा असर

एक बार जेंडर चेंज कराने के बाद कई सालों तक हार्मोन इंजेक्शन को लेना बहुत जरूरी हो जाता है। जेंडर चेंज कराने से पहले एक साल तक अलग प्रकार का सेशन लेना भी जरूरी होता है। जिसमें उनके मानसकि और शारीरीक स्थिति पर काफी बुरा प्रभाव पड़ता है।

डिस्क्लेमर: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों को केवल जानकारी के रूप में लें। DNP News Network/Website/Writer इनकी पुष्टि नहीं करता है। इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

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Akansha Tiwari
Akansha Tiwarihttps://www.dnpindiahindi.in
आकांक्षा तिवारी ने हाल ही में IP यूनिवर्सिटी से अपनी पत्रकारिता की पढ़ाई पूरी की है। अपने करियर की शुरुआत उन्होंने DNP इंडिया से की है। जहां वे बतौर एजुकेशन और लाइफस्टाइल कॉन्टेंट राइटर के तौर पर अपनी सेवाएं दे रही हैं। इससे पहले वो कई मीडिया चैनलों के साथ बतौर इंटर्न भी काम कर चुकी हैं।

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