Health Tips: बढ़ती हुई उम्र के साथ लोगों में कई सारी बीमारियां देखने को मिलती हैं। उम्र के बढ़ने से इंसान का शरीर कमजोर होने लगता है और अधिक तनावग्रस्त हो जाता है। ऐसे में बदल रही जीवनशैली की वजह से आजकल लोग कम उम्र में ही न जानें कितनी भंयकर बीमारियो का शिकार होने लगते हैं। बुढापे से परेशान लोगों की पीड़ा को कम करने के लिए हाल ही में वैज्ञानिकों ने मानव कोशिकाओं के अंदर एक अलग प्रकार के प्रोटीन की खोज की है। जिसे बुढ़ापे में होने वाली बीमारियों से लोगों को काफी हद तक आराम मिला सकता है। वैज्ञानिकों के द्वारा खोजे गए इस खास प्रकार के प्रोटीन का नाम एटीएसएफ-1 है।
जानें क्या है एटीएसएफ-1 नामक प्रोटीन
हाल ही में आस्ट्रेलिया की क्वींसलैण्ड यूनिवर्सिटी के ब्रेन इंस्टीटयूट के द्वार की गई रिसर्च में मानव सेल्स में एक एटीएसएफ-1 प्रोटीन को पाया गया है। जो डेड और नए माइट्रोकॉन्ड्रिया के बीच एक अच्छे बैलेंस से सभी को कंट्रोल करता है और शरीर में होने वाली बीमारियों को कम भी करता है। माइट्रोकॉन्डिया को कोशिका का पॉवरहाऊस भी कहा जाता है। माइट्रोकॉन्डिया से निकलने वाली ऊर्जा एक स्वास्थ्य शरीर के लिए बहुत जरूरी है। इसके काम न करने से शरीर में डिसफंक्शन डिमेंशिया और पार्किंसंस जैसी कई सारी बीमारियां एक साथ घर बना लेती हैं। माइट्रोकॉन्डिया से निकलने वाली ऊर्जा किसी भी जैविक काम को करने में मदद करती है।
खास प्रोटीन बताता है पिटस्टॉप का समय
क्वींसलैण्ड यूनिवर्सिटी के द्वारा की गई रिसर्च में एटीएसएफ-1 प्रोटीन की सहायता से इस बात का पता लगाया जा सकता है कि किस समय सेल्स को पिटस्टॉप की आवश्यकता है। इसके साथ ही तनाव की स्थिती में माइट्रोकॉन्डियल खराब होने लगते है, तो ये एटीएसएफ-1 प्रोटीन उनका फिर से निर्माण कर देता है। रिसर्च ज्यूरिन का कहना है कि उनके द्वारा खोज किए गए प्रोटीन की मदद से इंसान को अपने पूर्वजों से मिली माइट्रोकॉन्ड्रियल बीमारियां और बॉडी को लंबे समय तक फिट रखने में यह काफी महत्वपूर्ण और अच्छे रिजल्ट ला सकता है।
डिस्क्लेमर: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों को केवल जानकारी के रूप में लें। DNP News Network/Website/Writer इनकी पुष्टि नहीं करता है। इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
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