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Lungs Cancer: क्या धूम्रपान करने वालों को फेफड़ों का कैंसर होने का होता है अधिक खतरा? धूम्रपान कैसे छोड़ें, जानें डिटेल

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Lungs Cancer
फाइल फोटो प्रतिकात्मक

Lungs Cancer: फेफड़ों का कैंसर दुनिया भर में पाया जाना वाला सबसे आम कैंसर है। बता दें कि इस कैंसर से हर साल काफी मौतें होती है। गौरतलब है कि फेफड़ो का कैंसर से बाकी कैंसर के मुकाबले अधिक होता है। वैसे तो लंग्स कैंसर होने के कई कारण हो सकते है, लेकिन सबसे बड़ा कारण है धूम्रपान है। लगभग 85% मामलों में तंबाकू के जलने से बेंजीन और फॉर्मेल्डिहाइड जैसे कार्सिनोजेन निकलते हैं, जो नुकसान पहुंचाते हैं। चलिए आपको बताते है कि फफड़े का कैंसर कैसे होता है, और इससे कैसे बचा जा सकता है।

फेफड़ों का कैंसर क्या है?

फेफड़ों का कैंसर तब होता है जब फेफड़ों में कोशिकाएं अनियंत्रित तरीके से बढ़ने लगती हैं। कैंसर पहले फेफड़ों में बढ़ना शुरू हो सकता है (प्राथमिक कैंसर) या शरीर में कहीं और कैंसर से फेफड़ों में फैल सकता है। बता दें कि फेफड़ों का कैंसर काफी तेजी से बढ़ता है। इसके अलावा यह धूम्रपान करने वालों में अधिक आम है – हालाँकि धूम्रपान न करने वालों को भी यह हो सकता है।

क्या धूम्रपान करने से होता है लंग्स कैंसर?

दिन में कुछ सिगरेट पीने से भी फेफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है या कभी-कभार दूसरों का धुंआ अंदर लेने से भी फेफड़ों का कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है। हालांकि यह कहना गलत होगा कि सिर्फ धूम्रपान से ही लंग्स कैंसर हो सकता है। इसके कई और अन्य कारण हो सकते है लेकिन सबसे बड़ा कारण धूम्रपान है।

लंग्स कैंसर के लक्षण

फेफड़ों का कैंसर तब होता है जब फेफड़ों में कोशिकाएं अनियंत्रित तरीके से बढ़ने लगती हैं। वहीं इसके कई लक्षण हो सकते है।

●लगातार, नई खांसी तीन सप्ताह से अधिक समय तक रहना

●लंबे समय से चली आ रही खांसी में बदलाव

●सांस फूलना

●सीने या कंधे में दर्द

●छाती का संक्रमण जो दूर नहीं होता या बार-बार लौट आता है

●खांसना या थूकने पर खून आना

●थकान

●अचानक वजन कम होना

●निगलने में कठिनाई

हालांकि इनमें से कुछ लक्षण होने का मतलब यह नहीं है कि आपको फेफड़ों का कैंसर है। इनमें से कई लक्षण अन्य चिकित्सीय समस्याओं या धूम्रपान के कारण हो सकते हैं।

लंग्स कैंसर का कारण?

ऐसे कई कारण हो सकते है जो कैंसर के विकास के जोखिम को बढ़ाते हैं।

●वृद्धावस्था – अधिक समय तक जीवित रहने का मतलब है कि आपके शरीर की कोशिकाओं में अधिक म्यूटेशन हो सकता है, जिसका अर्थ है कि युवा लोगों की तुलना में बुजुर्ग लोगों कैंसर विकसित होने की अधिक संभावना हो सकती है।

●धूम्रपान- धूम्रपान आपके फेफड़ों की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है और उनमें उत्परिवर्तन होने की संभावना बढ़ जाती है। फेफड़ों के कैंसर के विकास के लिए धूम्रपान एक मुख्य कारण है।

पारिवारिक इतिहास- कुछ आनुवंशिक म्यूटेशन जो कैंसर का कारण बन सकते हैं, माता-पिता से बच्चे में पारित हो सकते हैं। यदि आपके परिवार में फेफड़ों के कैंसर का इतिहास है, तो आपको स्वयं फेफड़ों का कैंसर होने का खतरा अधिक हो सकता है।

लंग्स कैंसर का इलाज

चिकित्सा विशेषज्ञ फेफड़ों के कैंसर का इलाज विभिन्न तरीकों से कर सकते हैं। वहीं यह कैंसर के प्रकार, उसकी अवस्था, कितना फैल चुका है, उसपर निर्भर करता है कि फेफड़ों के कैंसर का इलाज किन तरीकों से किया जा सकता है।

●सर्जरी- कैंसर को खत्म करने के लिए – इसमें एक लोबेक्टोमी शामिल है जहां फेफड़े का एक लोब हटा दिया जाता है, एक न्यूमोनेक्टॉमी, जहां एक पूरा फेफड़ा हटा दिया जाता है, या एक वेज रिसेक्शन जहां फेफड़े का केवल एक हिस्सा हटा दिया जाता है।

●रेडियोथेरेपी- जो कैंसर कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाती है और उन्हें विभाजित होने या फैलने से रोकती है।

●कीमोथेरेपी- जो कैंसर कोशिकाओं को मारने के लिए मजबूत दवाओं का उपयोग करती है।

●टारगेटेड थेरेपी- जो ऐसी दवा का उपयोग करती है जो कैंसर की विशिष्ट विशेषताओं पर हमला करती है – उदाहरण के लिए, कुछ आनुवंशिक उत्परिवर्तन।

इम्यूनोथेरेपी- जो आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को कैंसर कोशिकाओं को देखने और उन्हें मारने में मदद करती है।

धूम्रपान कैसे छोड़े

धूम्रपान छोड़ना आपके स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए उठाए जाने वाले सबसे महत्वपूर्ण कदमों में से एक है वहीं कुछ टिप्स आपको धूम्रपान छोड़ने में मदद कर सकते है।

●धूम्रपान छोड़ने की तारीख तय करें।

●परिवार, दोस्तों और सहकर्मियों को बताएं कि आप धूम्रपान छोड़ने की योजना बना रहे हैं।

अगर आप प्रतिदिन इन छोटी छोटी चीजों का उपयोग करते है और अपने जीवन में इसे लागू करते है तो आपको जल्द ही धूम्रपान छोड़ने में मदद मिल सकती है।

Disclaimer: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है। यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है। इस लेख में उल्लिखित तरीकों और दावों को केवल सुझाव के रूप में लें, डीएनपी इंडिया उनकी पुष्टि या खंडन नहीं करता है। ऐसे किसी भी सुझाव/उपचार/दवा/आहार पर अमल करने से पहले डॉक्टर से सलाह लें।

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