Postpartum Depression: पोस्टमार्टम डिप्रेशन से करीब 7 में से एक महिलाएं प्रभावित होती है। बच्चे के जन्म के बाद यह एक मेडिकल कंडीशन है और इसमें सिर्फ डॉक्टर कुछ सवाल कर पोस्टपार्टम डिप्रैशन के बारे में पता लगाते हैं। दरअसल बदल गई लाइफस्टाइल की वजह से ये मामले सामने आते हैं। ऐसे में लिए जानते हैं आखिर क्यों भारत में भी बढ़ रहे हैं पोस्टमार्टम डिप्रेशन।
क्या है पोस्टपार्टम डिप्रेशन
ऐसे में महिलाएं बच्चे के जन्म के बाद इमोशनली उतार चढ़ाव, थकान, चिंता, स्ट्रेस लेती हैं और किसी भी बात में बार-बार रोने लगती है। यहां तक कि वह अपने बच्चों के बारे में इतना सोचती है कि उसकी देखभाल करने में भी परेशान रहती है और ज्यादातर महिलाएं इस पोस्टपार्टम डिप्रेशन का शिकार हो जाती हैं।
भारत में पोस्टपार्टम डिप्रेशन की स्थिति
एक स्टडी में इस बात का दावा किया गया कि 6 देश में मां के बीच पोस्टपार्टम डिप्रेशन की स्थिति दर चौंकाने वाली जिसमें इजिप्ट, इंडिया, सीरिया यमन और इराक शामिल है। ऐसे में 617 मां पर रिसर्च किया गया और उसके बाद जो परिणाम निकला उसमें इंडिया दूसरे नंबर पर है।जहां 21.7 प्रतिशत मामले सामने आए हैं। यह अपने आप में बहुत बड़ी बात है। 6 देश में दूसरे नंबर पर भारत की स्थिति निश्चित तौर पर काफी चौंकाने वाली है और इस पर काम करने की भी जरूरत है।
आखिर क्यों बढ़ रहे हैं भारत में मामले
स्ट्रेस
भारत में मामले बढ़ने की सबसे बड़ी वजह स्ट्रेस है जो कई वजहों से महिलाओं को देखने में मिलता है। गरीबी, पारिवारिक विवाद, पैसों की कमी, अधिक बच्चों की देखभाल काम, काम के अवसर कम पोस्टपार्टम डिप्रेशन की वजह हो सकती है। इसके अलावा सी सेक्शन डिलीवरी से लेकर अपने बॉडी फिगर और बच्चों की देखभाल को लेकर सोचती है जो स्ट्रेस की वजह बनती है।
डाइट
कहीं ना कहीं प्रेगनेंसी में डाइट और प्रॉपर खाना भी इसकी वजह बन सकती है।पोस्टपार्टम डिप्रेशन से बचने के लिए जरूरी है कि आप प्रेगनेंसी के दौरान अच्छे खाने खाएं ताकि आपका मेंटल हेल्थ मजबूत हो सके। विटामिन डी की मात्रा भरपूर होनी चाहिए ताकि आप में रिस्क फैक्टर कम हो सकें क्योंकि आपके द्वारा ही आपके बच्चे को भी खाना मिलता है जब वह गर्भ में होता है। ऐसे में अपने खान-पान का विशेष ध्यान रखें।
हारमोंस
मां बनने के बाद और प्रेगनेंसी के दौरान कई हारमोंस बदलते हैं जिसकी वजह से पोस्टपार्टम डिप्रेशन का खतरा बढ़ता है। इस दौरान न्यू मॉम को इमोशनली सपोर्ट की जरूरत होती है।
उम्र
कम उम्र में प्रेगनेंसी और मां बनने की वजह से ही पोस्टमार्टम डिप्रेशन हो सकता है। कभी कभार अधिक उम्र में भी स्ट्रेस बढ़ने की वजह से इसका खतरा देखने को मिलता है।
थायराइड
भारत में थायराइड को आसानी से चेक कर सकते हैं और प्रेगनेंसी में काफी मायने रखती हैं। ऐसे में जरूरी है चेक कराएं क्योंकि यह बाद में रिस्क फैक्टर बन सकता है।
ज्यादा बच्चे
पोस्टपार्टम डिप्रेशन का एक कारण ज्यादा बच्चे भी हो सकता है क्योंकि ऐसे में साइकोलॉजिकल मां के पास काफी बोझ होते हैं
मनोरोग इतिहास
यह सच है की प्रेगनेंसी के दौरान ज्यादातर महिलाएं स्ट्रेस का शिकार होती है और उन्हें कभी ना कभी ऐसा अनुभव होता है। ऐसे में अगर कभी अबॉर्शन या मिसकैरेज हुआ है तो यह पोस्टपार्टम डिप्रेशन का कारण बन सकता है।
एनीमिया
अगर इसकी एक और वजह की बात करो तो एनीमिया भारत में प्रेगनेंसी के दौरान सबसे ज्यादा देखा जाता है जो आयरन की कमी की वजह से होती है। इसकी वजह से आपके मूड में बदलाव होते हैं जो बाद में न्यू बोर्न मॉम को झेलने पड़ सकते हैं।
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