Wednesday, October 23, 2024
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ब्रेस्टफीडिंग से महिलाओं के शरीर में होते हैं ये बदलाव, जानें इसके फायदे और नुकसान

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BRICS vs NATO: रूस के 8वें सबसे अधिक आबादी वाले शहर कजान (Kazan) में आज दुनिया के तमाम ताकतर राष्ट्राध्यक्षों का जमावड़ा लगा है। वोल्गा और काजानका नदी के संगम पर स्थित कजान की सुरक्षा व्यवस्था भी चका-चौंध है।

World breastfeeding week 2023: जब महिलाएं पहली बार मां बनती है तो उनकी बॉडी में कई सारे बदलाव नजर आते हैं। वहीं दूसरी तरफ ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली महिलाओं की बॉडी में भी कई तरह के बदलाव देखे जाते हैं। इसी बीच ‘वर्ल्ड ब्रेस्टफीडिंग वीक’ भी कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है, जो अगस्त के पहले हफ्ते के पूरे 7 दिन तक मनाया जाता है। एक सप्ताह तक चलने वाले इस कार्यक्रम के दौरान सभी को जागरूक किया जाता है। साथ ही कार्यक्रम में जानकारी दी जाती है कि एक शिशु की ओवरऑल ग्रोथ के लिए मां का दूध कितना जरूरी है।

बड़ी संख्या में कुपोषण का शिकार होते बच्चे

डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के मुताबिक बताया जाता है कि हर साल करीब 27 लाख बच्चे कुपोषण का शिकार हो जाते हैं। यह मरने वाले बच्चों की संख्या से काफी ज्यादा है। डॉक्टर और एक्सपर्ट का कहना है कि करीब 6 महीने तक सिर्फ बच्चे को मां का दूध पीना चाहिए। मां का दूध बच्चे के लिए बेहद जरूरी है और इसी के साथ बच्चे का विकास होता है।

2023 की ”वर्ल्ड ब्रेस्टफीडिंग वीक’ की थीम

इस साल ‘वर्ल्ड ब्रेस्टफीडिंग वीक’- “आइए स्तनपान कराए और काम करें… काम करें।” बता दे कि हर साल ग्लोबल ब्रेस्टफीडिंग कैंपेन एक खास थीम पर आधारित होती है और इसी के साथ ही पहली बार मां बनी महिलाओं के लिए गाइडलाइन भी जारी की जाती हैं। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक न्यू मॉम्स के लिए गाइडलाइंस में बताया गया है कि जन्म के 1 घंटे के अंदर अपने बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग करवाएं। बच्चे को 6 महीने तक मां का दूध पीना चाहिए। 6 महीने के बाद घर का बना सिरल्स बच्चे को खिला सकते हैं। इसके अलावा दो या अधिक साल तक अगर आप दूध पिलाने में सक्षम है तो बच्चे को जरूर पिलाएं।

जानिए ब्रेस्टफीडिंग के नुकसान और फायदे

  • जो बच्चे अपनी मां का दूध पीते हैं उनकी यूनिटी बहुत ज्यादा स्ट्रांग होती है और वह बीमारी से लड़ने में भी सक्षम होते हैं।
  • जो महिलाएं ब्रेस्टफीडिंग कराती है उन्हें पीरियड्स होने के चांसेस भी कम रहते हैं। इस वजह से ओवुलेशन नहीं होता है।
  • ब्रेस्ट फीडिंग कराने से डायबिटीज और हार्ट का खतरा भी कम रहता है।
  • कुछ महिलाओं को डिलीवरी के शुरुआती सकते नहीं दूध पिलाने में काफी दर्द महसूस होता है। वहीं कुछ महिलाओं को ब्रेस्ट में इंफेक्शन होने का भी खतरा होता है।

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Anjali Sharma
Anjali Sharmahttps://dnpindiahindi.in
अंजलि शर्मा पिछले 2 साल से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम कर रही हैं। अंजलि ने महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी से अपनी पत्रकारिता की पढ़ाई की है। फिलहाल अंजलि DNP India Hindi वेबसाइट में कंटेंट राइटर के तौर पर काम कर रही हैं।

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