Monday, November 4, 2024
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Uttarakhand News: चंद्र ग्रहण के बाद खुले चारों धामों के कपाट, मंदिर में उमड़ी भक्तों की भीड़

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Uttarakhand News: देवभूमि उत्तराखंड से एक बड़ी खबर सामने आई है। जानकारी के मुताबिक उत्तराखंड में सुदूर पर्वतीय इलाकों में बसे केदारनाथ धाम में बाबा भोलेनाथ के दर्शन हेतु जा रहे भक्तों पर आफत का पहाड़ टूट पड़ा है।

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Uttarakhand News: उत्तराखंड में इन दिनों केदारनाथ धाम को लेकर अलग ही सनसनी मची है। बीते दिनों ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने केदारनाथ मंदिर से चोरी हुए सोना का जिक्र किया था।

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Uttarakhand News: 10 जुलाई का दिन राजधानी दिल्ली सहित आस-पास के इलाकों में रहने वाले बाबा केदार के भक्तों के लिए बेहद खास था। दरअसल इसी दिन उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दिल्ली के बुराड़ी में श्री केदारनाथ मंदिर के तर्ज पर केदारनाथ मंदिर का भूमिपूजन किया।

Uttarakhand News: चंद्र ग्रहण समाप्त होने के बाद मंदिरों में पुजारियों द्वारा शुद्धिकरण की प्रकिया कर धामों के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए। तड़के सुबह बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर में दैनिक पूजा शुरु हो गई है। उक्त बात की जानकारी बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति की ओर साझा की गई है। बताया गया है कि बड़ी संख्या में भक्त महादेव के दर्शन को पहुंचे हैं। यमुनोत्री धाम में भी सुबह शुद्धिकरण के पश्चात मंदिर के पट को खोल दिया गया है। सबसे पहले यहां श्रद्धालुओं ने मां के यमुना के पूजा अर्चना कर अपने लिए मनोवांछित फल की मंगलकामना की।

शरद पूर्णिमा पर रहा चंद्र ग्रहण का साया

ग्रहण की कुल अवधि 01 घंटा 16 मिनट की रही। शनिवार रात शरद पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण का साया 01:05 बजे से शुरु होकर रात के ही 02:24 बजे पर समाप्‍त हुआ। मालूम हो कि जब सूर्य और चंद्रमा के बीच में पृथ्वी आ जाती है और चंद्रमा को अपनी छाया से कवर कर देती है तब चंद्रमा का कुछ भाग जमीन से दिखाई नहीं पड़ता है। इसी खगोलीय घटना को चंद्र ग्रहण कहते हैं। जानकारी हो कि इस साल का आखिरी चंद्र ग्रहण बीते शनिवार को भारत में भी दिखाई दिया, इसलिए यहां सूतक के नियम को भी पालन करने की बात कही गई थी। ज्योतिषाचार्यों की मानें तो चंद्र ग्रहण से ठीक 9 घंटे पहले यह सूतक अपने प्रभाव क्षेत्र में रहता है। इसी के वजह से बीती शाम 04:05 बजे सूतक काल शुरु हो गया था।

चंद्र ग्रहण के दौरान इन बातों का रखें ध्यान

आपको बता दें कि भारत में सबसे पहले चंद्र ग्रहण महाराष्ट्र के चेंबूर में दिखाई दिया। वहीं, इसे आखिर में गुजरात के राजकोट से देखा गया। चंद्र ग्रहण के दौरान मंदिरों में स्थित भगवान की मूर्तियों को ढ़क दिया जाता है। इसके पीछे सूतक का अशुभ होना बताया जाता रहा है। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक सूतक काल में भगवान की पूजा करना अशुभ है। इसके अलावा इस काल में भोजन आदि करने की मनाही है। हालांकि, ग्रहण के दिन जरुरतमंद लोगों की आर्थिक सहायता करना विशेष फलदायी है।

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Rupesh Ranjan
Rupesh Ranjanhttp://www.dnpindiahindi.in
Rupesh Ranjan is an Indian journalist. These days he is working as a Independent journalist. He has worked as a sub-editor in News Nation. Apart from this, he has experience of working in many national news channels.

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