Assembly Election 2023 Result: देश के पांच राज्यों में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में चार राज्यों के नतीजे बीते दिन घोषित हुए। इसमें राजस्थान के साथ मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ व तेलंगाना जैसे राज्य शामिल हैं। देश के सबसे बड़े राजनीतिक दल होने का दावा करने वाली भाजपा ने इन चुनावों में इतिहास रचते हुए तीन राज्यों में सत्ता हासिल की। वहीं कांग्रेस को तेलंगाना में जी मिल सकी। अब इन राज्यों में चुनावी नतीजों की घोषणा के बाद जहां भाजपा उत्साहित नजर आ रही है तो वहीं कांग्रेस समीक्षा बैठक कर हार के कारण पर काम करने की बात कह रही है। ऐसे में आइए हम आपको बताते हैं कि आखिर इन राज्यों में भाजपा और कांग्रेस के लिए जीत-हार के कारण क्या रहे हैं।
MP में चला ‘मामा’ का जादू
मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा पहले से ही तैयारी में जुट गई थी। इसके परिणाम स्वरुप भाजपा ने चुनाव के महीनों पहले ही अपने कैंडिडेट्स की पहली लिस्ट जारी कर दी थी। इससे उम्मीदवारों को अपने क्षेत्र में जनता से जुड़ने का मौका मिला जिससे जीत की राह आसान हो सकी। वहीं कांग्रेस ने अक्टूबर के दूसरे सप्ताह में प्रत्याशियों के लिस्ट की घोषणा की जिससे उम्मीदवारों का जनता से जुड़ाव नहीं हो सका।
मध्य प्रदेश में सीएम शिवराज ‘मामा’ का जादू भी चलता नजर आया और उनके सरकार द्वारा शुरू की गई लाडली बहना योजना ने महिला वोटर्स को भापजा की ओर खूब आकर्षित किया। इस योजना के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने मध्य प्रदेश की महिलाओं को 1000 रुपये का मासिक भत्ता देने का ऐलान किया फिर बाद में इस रकम को बढ़ाकर 1250 रुपये कर दिया गया। इस योजना से सूबे की महिलाओं में भाजपा को लेकर माहौल बन पाया जिसके बाद से इस मासिक भत्ते की रकम को 3000 रुपये प्रति माह देने का वादा किया गया।
भाजपा मध्य प्रदेश में संगठन स्तर से भी खूब मजबूती से लड़ी और माहौल को देखते हुए पांच से ज्यादा सांसदों को विधानसभा चुनाव लड़ाया गया जिसमें फग्गन सिंह कुलस्ते, नरेन्द्र तोमर व प्रहलाद पटेल जैसे केन्द्रीय मंत्री के नाम भी शामिल थे। दावा किया गया कि इन बड़े नेताओं के चुनावी मैदान में उतरने से पार्टी के पक्ष में माहौल बन पाया और कार्यकर्ताओं का आत्मविश्वास भी बढ़ सका।
राजस्थान में कायम रहा रिवाज
राजस्थान विधानसभा चुनाव के नतीजों को लेकर दावा किया जा रहा था कि यहां एक बार फिर रिवाज कायम रह सकता है। हालाकि ये इतना आसान नहीं था। भाजपा ने इस जीत के लिए खूब तैयारी की और गुटबाजी से बचने के लिए स्थानिय नेताओं की बजाय पीएम मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ने का निर्णय लिया। अंततः पार्टी का ये निर्णय सही साबित हुआ और भाजपा ने लगभग तीन दशकों से काबिज सत्ता परिवर्तन के रिवाज के साथ सत्ता में वापसी की।
राजस्थान में भाजपा की जीत में कांग्रेस के आपसी कलह का योगदान भी रहा। कांग्रेस आलाकमान यहां के स्थानिय नेताओं की गुटबाजी को नियंत्रण में नहीं ला पाई। बशर्ते सीएम अशोक गहलोत व सचिन पायलट का गुट पूरे पांच साल तक अपने वर्चस्व की लड़ाई लड़ता ही रहा। इसके अलावा कांग्रेस विधायकों को लेकर भी जनता में नाराजगी दर्ज की गई थी लेकिन अशोक गहलोत व पायलट गुट ने ज्यादातर अपने पुराने समर्थक विधायकों को टिकट दिलवाया जिससे भाजपा की राह आसान हो सकी।
छत्तीसगढ़ को पीएम मोदी की गारंटी
चुनावी राज्य छत्तीसगढ़ के नतीजे निश्चित तौर पर चौंकाने वाले हैं। सभी एग्जिट पोल को चित्त करते हुए भाजपा ने यहां स्पष्ट बहुमत हासिल किया है। भाजपा ने सूबे के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी और स्थानिय नेतृत्व के बजाय पीएम मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ने का निर्णय लिया। पीएम मोदी भी छत्तीसगढ़ में चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए अपने वादों की गारंटी देते पाए गए। उन्होंने धान के मूल्य के साथ बोनस व आदिवासी बाहुल्य इलाकों में कई गारंटी देने का ऐलान किया। इन सभी फैक्टर्स का असर छत्तीसगढ़ की चुनाव में देखने को मिला और सीएम बघेल कैबिनेट के ज्यादातर मंत्री चुनाव हारते नजर आए। इसमें छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री टीएस सिंह देव का नाम भी शामिल है।
तेलंगाना में चला कांग्रेस का जादू
दक्षिण पट्टी के प्रमुख राज्यों में से एक तेलंगाना में कांग्रेस ने सत्ता हासिल की। कांग्रेस की लड़ाई यहां दशकों से सत्ता में काबिज बीआरएस से थी। सीएम केसीआर की पार्टी पूरे दमखम के साथ चुनाव लड़ती नजर आई हालाकि उन्हें एंटी इनकम्बेंसी का सामना करना पड़ा। दावा किया जा रहा है कि बीआरएस अपने 90% पुराने विधायकों के साथ चुनावी मैदान में उतरी जिससे जनता का गुस्सा देखने को मिला।
कांग्रेस की जीत में पार्टी द्वारा किए गए वादों का खूब असर देखने को मिला है। दरअसल तेलंगाना के लोगों को गृह ज्योति गारंटी के जरिए 200 यूनिट फ्री बिजली देने का वादा किया गया। इसके साथ ही बेघरों को मकान देने के लिए 5 लाख रुपये व महिलाओं को 500 रुपये में एलपीजी सिलेंडर देने का वादा सफल साबित हुआ और कांग्रेस अपने पुराने किले में सत्ता हासिल कर सकी।
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