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Rahul की Bharat Jodo Yatra से यूपी के विपक्षियों ने बनाई दूरी, किन्तु शुभकामनाएं दी पूरी

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Bharat Jodo Yatra: नौ दिनों के अवकाश के पश्चात कल 3 जनवरी से कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा का यूपी के गाजियाबाद से पुनः आरंभ हो गया। किन्तु सपा,रालोद तथा बसपा के यात्रा में सम्मिलित न होने से कांग्रेस की आशाओं को झटका लगा है।

राहुल की यात्रा को प्रमुख विपक्षियों ने नहीं दिया भाव

आपको बता दें विगत ढाई दशकों से देश की प्रमुख राष्ट्रिय पार्टी कांग्रेस यूपी में अपना  राजनितिक अस्तित्व बचाने का जितना संघर्ष करती जा रही है। उतना ही उसका अस्तित्व चुनाव दर चुनाव सिमटता जा रहा है। उत्तर प्रदेश में अपना संगठन पुनः खड़ा करने के लिए जूझ रही कांग्रेस के विधायकों तथा सांसदों की संख्या बढ़ने की बजाय घटती जा रही है। इसके लिए पार्टी ने अलग अलग चुनावों में अलग अलग विपक्षी दलों से चुनावी गठबंधन भी किए किन्तु परिणाम जस के तस ही रहे। इसी क्रम में आसन्न लोकसभा चुनाव 2024 को देखते हुए कांग्रेस ने राहुल के नेतृत्व में 7 सितंबर 2022 से दक्षिण भारत के कन्याकुमारी से भारत जोड़ो यात्रा का देशव्यापी आरंभ किया था। लगभग 3000 किमी यात्रा तय करने के पश्चात यात्रा ने यूपी में प्रवेश किया है इससे पूर्व कांग्रेस द्वारा सपा, रालोद,बसपा तथा टिकैत की किसान यूनियन जैसे प्रमुख विपक्षीयों को यात्रा में सम्मिलित होने के लिए पत्र लिखे गए थे। गाजियाबाद जिले के लोनी में यात्रा का स्वागत व सभा भी हुई,भरी भीड़ भी जुटी किन्तु अन्य विपक्षी दल का कोई भी नेता यात्रा में नहीं जुड़ा। मात्र मुंबई में यात्रा कोसमर्थन देने वाली उद्धव शिवसेना की नेता प्रियंका चतुर्वेदी यात्रा से जुड़ी जो पूर्व में कांग्रेस में रह चुकी हैं।

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प्रमुख विपक्षियों ने बनाई दूरी

बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने पहले तो यात्रा को समर्थन दिया किन्तु ऐसा माना जा रहा है कि यात्रा के मध्य में प्रधानमंत्री पद की दावेदारी की बात आने के बाद से नितीश ने भी दूरी बना ली है और जुड़ने के प्रश्न पर उन्होंने कहा कि समय आने पर देखा जाएगा। इसी प्रकार यूपी के प्रमुख विक्षियों ने भी यही रणनीति अपनाई है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने यात्रा का स्वागत तो किया किन्तु सम्मिलित होने पर सहमति नहीं दी। बसपा प्रमुख मायावती ने शुभकामनाएं दी,यात्रा का स्वागत भी किया किन्तु सम्मिलित होने की हामी नहीं भरी। यही रणनीति रालोद प्रमुख जयंत चौधरी ने अपनाई है किन्तु इसका कारण कदापि यात्रा का मार्ग है जो जाट बाहुल्य शहरों से होकर रखा गया है। जहां रालोद का प्रभाव है और यदि वह अपने वोटो की चिंता में ऐसा करती है तो रणनीतिक रूप से सही है। राहुल के लिए मात्र इतना सकारात्मक है कि टिकैत की किसान यूनियन ने सम्मिलित होने की सहमति दी है। जिसका यहां बहुत प्रभाव है।   

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