Bombay High Court: भारतीय न्यायिक व्यवस्था के खिलाफ नवनियुक्त उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar)और केन्द्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू(Kiren Rijiju) के बयानों को लेकर बॉम्बे हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। दायर याचिका के माध्यम से यह मांग की गई है कि उक्त दोनों प्रमुख व्यक्तियों के हालिया बयान भारतीय संवैधानिक व्यवस्था में उनके विश्वास की कमी को दर्शाता है, ऐसे में इनका संवैधानिक पदों पर बने रहना उचित नहीं है।
जानें क्या है पूरा मामला
आपको बता दें कि उपराष्ट्रपति धनखड़ और कानून मंत्री रिजिजू के खिलाफ बॉम्बे लॉयर्स एसोसिएशन की तरफ से एक जनहित याचिका दायर की गई है। जिसमें मांग की गई है कि उपराष्ट्रपति धनखड़ तथा किरण रिजिजू ने संविधान के अनुसार पद और उसकी गरिमा की शपथ लेते हुए संवैधानिक पद ग्रहण किए हुए हैं लेकिन उनका संवैधानिक व्यवस्था पर ही सवाल उठाने वाला हालिया बयान भारत के संविधान में उनके विश्वास में कमी को दिखाता है। अतः उनकी कोर्ट से मांग है कि वह तुरंत उपराष्ट्रपति धनखड़ और कानून मंत्री रिजिजू को अयोग्य घोषित कर आधिकारिक कर्तव्यों का निर्वहन करने पर रोक लगाए। उनका सार्वजनिक आचरण संवैधानिक पदों को धारण करने के पूरी तरह अयोग्य है।
जानें बयानों में क्या कहा था
उपराष्ट्रपति जगदीप धनगड़ ने पिछले साल दिसंबर 2022 में संसद के शीतकालीन सत्र में उच्च सदन राज्यसभा की अध्यक्षता करते हुए कहा था कि सरकार ने जजों की नियुक्ति के लिए संसद से एनजेएसी अधिनियम एक नया कानून पारित किया था। जिसे सुप्रीम कोर्ट ने अव्यवहारिक बताकर खारिज कर दिया था। इसकी प्रतिक्रिया में राज्यसभा अध्यक्ष उपराष्ट्रपति धनगड़ ने कोर्ट के इस आदेश को “लोगों के जनादेश” की अवहेलना बता दिया था।
वहीं दूसरी ओर कानून मंत्री किरण रिजिजू ने भी पिछले साल नबंवर में जजों की नियुक्ति के लिए चली आ रही कॉलेजियम व्यवस्था को “अपारदर्शी और जवाबरहित” बता दिया था। उन्होंने आगे संकेत देते हुए कहा था कि जब तक केन्द्र सरकार एक वैकल्पिक तंत्र तैयार नहीं कर देती, तब तक उन्हें वर्तमान व्यवस्था से ही काम चलाना होगा।
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