Sunday, November 24, 2024
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Diwali 2024: काली सच्चाई! मां लक्ष्मी के वाहन उल्लू पर दिवाली आते ही क्यों मडराने लगता ही मौत ? जानें हकीकत

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Diwali 2024: 31 अक्टूबर यानी बीते कल दिवाली पर्व बेहद धूम-धाम के साथ देश-दुनिया के विभिन्न हिस्सों में मनाया गया। इस दौरान भारतीय क्रिकेटर्स ने बढ़-चढ़कर दिवाली (Diwali 2024) उत्सव में हिस्सा लिया।

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Diwali 2024: देश-दुनिया के विभिन्न हिस्सों में बीते कल यानी 31 अक्टूबर को प्रकास पर्व दिवाली बेहद धूम-धाम से मनाया गया। इस दौरान लोगों ने दीप जलाकर जमकर आतिशबाजी भी की।

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Diwali 2024: देश-दुनिया के विभिन्न हिस्सों में आज यानी 31 अक्टूबर को दीवाली पर्व की धूम है। इस दौरान लोग अपनों को बधाई व शुभकामना संदेश भेजकर उनका दिन खास बनाकर अपनत्व का भाव बरकरार रख रहे हैं।

Diwali 2024: दिवाली (Diwali) का महापर्व इस वर्ष 31 अक्टूबर को धूम-धाम से मनाया जाएगा। इसकी तैयारी में अभी से ही लोग जुट गए हैं। ऐसे में खरीदारी से लेकर साफ-सफाई और सजावट की तैयारियां शुरु हो गई हैं। ये त्योहार हर वर्ष कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। इस दिन हर तरफ जगमगाहट देखने को मिलती है। दिवाली का दिन दैवीए शक्तियों के साथ-साथ जादू-टोटका करने वालों के लिए भी अहम दिन माना जाता है क्योंकि, ये पर्व अमावस्या की काली रात को पड़ता है, इसलिए तंत्र-मंत्र करने वाले लोग इस दिन उल्लू की बलि भी देते हैं। आज हम आपको मां लक्ष्मी के वाहन उल्लू की बलि लोग क्यों देते हैं, इसके बारे में बताने जा रहे हैं।

दिवाली (Diwali ) पर उल्लू की बढ़ जाती है डिमांड

अंधविश्वास में डूबे लोग मां लक्ष्मी के वाहन उल्लू को भी नहीं छोड़ते हैं। अंधविश्वासी लोगों का मानना है कि, दिवाली के दिन अगर धन-संपदा को बढ़ाना है तो, उल्लू की बलि देनी चाहिए। इसी कारण अचानक से मासूम से दिखने वाले उल्लू की मांग बढ़ जाती है, जिसकी वजह से उल्लू की जान पर खतरा मंडराने लगता है।

उल्लू की सुरक्षा के लिए बना है कानून

आपको जानकर हैरानी होगी कि, दिवाली आते ही उल्लू की तरस्करी भी बढ़ जाती है। हालंकि उल्लू को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहस संरक्षण दिया गया है और सजा का कानून बनाया गया है। वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर (WWF) इस अंधविश्वास को खत्म करने के लिए उल्लूओं को बचाने पर काम कर रहा है और लोगों को जागरुक कर रहा है।

भारत में 36 प्रकार के उल्लू पाए जाते हैं। इनमें से 15 से ज्यादा उल्लू की प्रजातियों का इस्तेमाल तस्करी में किया जाता है। दिवाली पर उल्लू की इतनी ज्यादा डिमांड बढ़ जाती है कि, तस्कर इसे 15 से 20 हजार रुपए में भी बेचते हैं।

दिवाली पर अंधविश्वासी लोग उल्लू की क्यों देते हैं बलि?

उल्लू का पैसों की देवी मां लक्ष्मी का वाहन माना जाता है। अंधविश्वास रखने वाले लोगों को मानना है कि,अगर धनतेरस के दिन माता लक्ष्मी की सवारी यानी उल्लू की बलि दी जाए तो धन की प्राप्ति होती है और कंगाली खत्म हो जाती है। इसी कारण कई सारे लोग इस घिन्नौने काम को अंजाम देते हैं। उल्लू की बलि देने से पहले काफी पूजा भी की जाती है।

मां लक्ष्मी का वाहन है उल्लू

उल्लू को मां लक्ष्मी का वाहन कहा जाता है। मां लक्ष्मी ने उल्लू को अपने वाहन के रुप में इसलिए चुना क्योंकि ये काफी मेहनती माना जाता है। दिन हो या फिर रात हो ये अपने भोजन की तलाश में रहता है। लेकिन यंत्र विद्या में यकीन करने वाले लोगों का ममना है कि, दिवाली पर उल्लू की बलि देने से धन और समृद्धि बढ़ती है। हालंकि इसके पीछे कोई भी सच्चाई नहीं है, लेकिन इस अंधविश्वास के चलते लोग इस मासूम पक्षी को मार देते हैं।

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Aarohi
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आरोही डीएनपी इंडिया में मनी, देश, राजनीति , सहित कई कैटेगिरी पर लिखती हैं। लेकिन कुछ समय से आरोही अपनी विशेष रूचि के चलते ओटो और टेक जैसे महत्वपूर्ण विषयों की जानकारी लोगों तक पहुंचा रही हैं, इन्होंने अपनी पत्रकारिका की पढ़ाई पीटीयू यूनिवर्सिटी से पूर्ण की है और लंबे समय से अलग-अलग विषयों की महत्वपूर्ण खबरें लोगों तक पहुंचा रही हैं।

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