Gehlot-Pilot Tussle: राजस्थान कांगेस में मची अंदरुनी घमासान के दो ध्रुव सचिन पायलट तथा अशोक गहलोत के बीच किसी मुद्दे पर सहमति भी बन सकती है। यह कांग्रेस के लिए कुछ तो सुकूंन की खबर हो ही सकती है। आपसी खींचतान से भरे साल जनवरी महीने के गुजर जाने के बाद बजट सत्र में पहली बार सीएम गहलोत तथा पायलट के मध्य केन्द्र सरकार के आम बजट 2023 के संबंध पर एकमत से प्रतिक्रिया दी है। जहां केन्द्र की मोदी सरकार ने इस कार्यकाल का अपना अंतिम बजट पेश किया वहीं राजस्थान की राजनीति के इन दो दिग्गजों ने आम बजट पर राजस्थान के हित के अनुरुप एक ही राय में कहा है कि राज्य के साथ केन्द्र ने सौतेला व्यवहार किया है। दोनों ही धुर विरोधियों ने बजट में राज्य की सबसे महत्वपूर्ण परियोजना ERPC की अनदेखी करने पर नाराजगी जताई है।
जानें पायलट ने क्या कहा
राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने भी केन्द्र सरकार के बजट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि इससे आम जनता को कोई भी राहत नहीं मिलने वाली वाली है। सभी वर्ग निराश है। केन्द्र के इस बजट में बढ़ रही मंहगाई तथा बेरोजगारी को रोकने के लिए कोई ठोस उपाय नहीं हैं। किसानों की प्रमुख मांग MSP पर सरकार की ओर से कुछ भी न बोलना उसकी संवेदनहीनता को दिखाता है। भाजपा के एजेंडे में अमीरों और गरीबों के बीच की खाई कभी पाटी नहीं गई। मजदूरों की जीवनदायी मनरेगा आवंटन में भी 33% की कटौती कर दी गई है। उन्होंने राजस्थान के लिए सबसे महत्वपूर्ण परियोजना ERPC (ईस्टर्न राजस्थान कैनाल परियोजना) को लंबे समय से राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने की मांग पर कोई ध्यान नहीं दिया। यह केन्द्र का राज्य के साथ सौतेला तथा भेदभावपूर्ण व्यवहार ही तो दिखाता है।
सीएम गहलोत ने भी बताया था सौतेला व्यवहार
इससे पहले सीएम गहलोत ने भी बजट को निराशाजनक बताया था। राज्य के विकास के लिए सबसे महत्वपूर्ण परियोजना ERPC को लंबे समय से राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने की मांग ठुकराकर कर्नाटक की अपर भद्रा परियोजना को अतिरिक्त 5300 करोड़ देना राज्य के साथ सौतेला व्यवहार ही तो दिखाता है।
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