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खौफ का दूसरा नाम कैसे बना Anand Mohan Singh, क्या सुशासन बाबू के लिए आफत बनेगी बाहुबली की आजादी

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Anand Mohan Singh: बिहार के बाहुबली नेता और पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह की आज रिहाई कर दी गई है। ये रिहाई गुरुवार सुबह 4 बजे कर दी गई है। बता दें कि इससे पहले उनकी रिहाई 27 अप्रैल दोपहर को होनी थी लेकिन उनके समर्थकों की भीड़ की वजह से बिहार प्रशासन की तरफ से रिहाई का समय बदल दिया गया। पूर्व सांसद बिहार के सहरसा जेल में बंद थे।

उनके ऊपर 29 साल पहले डीएम जी कृष्णैया की हत्या करने का आरोप लगा था और इसी मामले में उन्हें उम्र कैद की सजा भी हुई थी। वहीं उनके रिहाई के बाद उन्हें एक तगड़ा झटका भी लगा है। सूत्रों की मानें तो पटना हाईकोर्ट में पूर्व सांसद आंनद मोहन के खिलाफ एक याचिका भी डाली गई है। यह याचिका उनके रिहाई के खिलाफ डाली गई ही साथ ही इसमें सीएम नीतीश कुमार पर भी बड़ा आरोप लगाया गया है।

26 अप्रैल को किया था सेरेंडर

बिहार के बाहुबली कहे जाने वाले आनंद मोहन ने 26 अप्रैल को सेरेंडर किया था। इससे पहले 15 दिनों के लिए पैरोल पर वो बाहर आए थे। पैरोल आनंद मोहन को बेटे की सगाई के कारण दिया गया था। बता दें कि उनकी रिहाई जेल मैनुवल में हुए बदलाव के कारण हो रही। पूर्व सांसद के साथ में 27 अन्य कैदियों की भी हो रही है। वहीं इनकी रिहाई के बाद अब बिहार की राजनीति भी अपने चरम पर है। कुछ लोग उनकी इस रिहाई को गलत ठहराकर लगातार विरोध कर रहे हैं। वहीं पटना हाईकोर्ट में दलित संगठन भीम आर्मी भारत एकता मिशन के द्वारा उनकी रिहाई को लेकर पटना हाईकोर्ट में याचिका डाली गई है। इस संगठन का कहना है कि सीएम नीतीश कुमार की सरकार ने गलत तरह से कानून को बनाया है और अपराधियों को छुड़ा रहे हैं।

नहीं होगी रिहाई के बाद दिक्कत

आनंद मोहन की वकील संगीता सिंह ने भी उनकी रिहाई को लेकर एक निजी न्यूज चैनल से बात की है। इस दौरान उन्होंने बताया है कि सुपौल, मधेपुरा में उनके ऊपर चल रहे केस को आज से बंद कर दिया गया है। देहरादून के एक मामले पर भी सुनवाई हुई है इस पर भी उन्हें क्लीयरेंस मिल गया है। ऐसे में अब उनकी रिहाई में किसी भी प्रकार की दिकक्त नहीं होगी।

जी कृष्णैया की पत्नी उषा देवी ने किया विरोध

इसके साथ – साथ आनंद मोहन की रिहाई को लेकर जी कृष्णैया की पत्नी उषा देवी काफी नाराज है। ऐसे में यह भी कहा जा रहा है कि वह इस रिहाई को लेकर कोर्ट भी जा सकती हैं। उन्होंने नीतीश सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि आनंद मोहन की रिहाई को लेकर सरकार को एक बार दोबारा विचार करना चाहिए। उनकी रिहाई केवल एक परिवार साथ ही इस पूरे देश के खिलाफ अन्याय करने के बराबर है। यह सब बिहार की राजनीति में वोट बैंक के चक्कर में किया जा रहा है। पहले दोषियों की फांसी की सजा होती थी जिसे कुछ समय के बाद उम्र कैद में बदल दिया अब उसकी रिहाई हो रही है जो गलत है।

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ये था पूरा मामला

इस घटना के बारे में बताया जाता है कि साल 1994 में आनंद मोहन सिंह ने गोपालगंज के डीएम जी कृष्णैया की हत्या करवा दी थी। डीएम की हत्या भीड़ के द्वारा की गई थी लेकिन यह आरोप लगा था की इस भीड़ को आनंद पाल सिंह ने ही भड़काया था। बता दें कि जी कृष्णैया हैदरबाद के रहने वाले थे और दलित समाज से आते थे। इसी मामले में पूर्व सांसद आनंद मोहन को आजीवन कारावास भी हुआ था।

कौन है आनंद मोहन सिंह

आनंद मोहन सिंह का जन्म बिहार के ही सहरसा जिले में हुआ था। बताया जाता है कि उनके दादा एक स्वतंत्रता सेनानी थे। आनंद मोहन ने अपने राजनीति करियर की शुरुआत साल 1974 से की थी। साल 1976 में लगे आपातकाल के दौरान उन्हें 2 साल के लिए कॉलेज के एक विवाद को लेकर जेल जाना पड़ा था। जेल से छूटने के बाद उन्होंने एक समाजवादी क्रांति सेना नाम के संगठन को बनाया।

इसके बाद उन्हें बिहार की राजनीति में उन्हें एक अलग पहचान मिली। इस संगठन के बनाते ही उनकी गिनती बाहुबली नेताओं में होने लगी। साल 1996 में आनंद ने शिवहर विधानसभा सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीत गए। इस समय वह जेल में ही बंद थे। हालंकि जेल में रहने के बाद वह कई बार चुनाव जीते और आज भी उनकी गिनती बिहार के दबंद नेताओं में होती है।

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