Monday, December 23, 2024
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Indian Army: भारतीय सेना आज मना रही है ऑपरेशन मेघदूत की 40वीं वर्षगांठ, वीडियो जारी कर दिखाया सिचायिन का सफर; जानें डिटेल

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Indian Army: हमारे देश के वीर जवान विषम परिस्थितियों में भी देश की रक्षा में कोई कसर नही छोड़ते है। उन्हीं के बदौलत आज हम अपने घर में सुरक्षित है। भारतीय सेना अदम्य साहस, वीरता, और शौर्य का प्रतीक है। आपको बता दें कि Indian Army ने दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र लद्दाख के सियाचिन ग्लेशियर में ऑपरेशन मेघदूत के 40 साल पूरे होने के मौके पर अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर एक वीडियो जारी किया है। इस वीडियो में दिखाया गया है कि कैसे भारतीय सेना सियाचिन ग्लेशियर में -50 डिग्री में भी अपने देश की सुरक्षा के लिए डटे रहती है। वहीं दुनिया के सबसे उंचे युद्धक्षेत्र लद्दाख में सियाचिन ग्लेशियर में फहराए गए तिरंगे को भी इस वीडियो में दिखाया गया है।

ऑपरेशन मेघदूत क्या था ?

सियाचिन में भारतीय सीमा के एक तरफ चीन है और दूसरी तरफ पाकिस्तान है। सियाचिन में पारा इतना गिर जाता है कि खाने वाली चीज भी बर्फ में तब्दील हो जाती है। यहां कुछ भी कर पाना आसान नहीं होता है फिर भी भारतीय सेना देश की रक्षा के लिए डटे रहती है। आपको बता दें कि पड़ोसी देश पाकिस्तान को डर था कि सियाचिन पर भारत कब्जा कर सकता है इसलिए पाकिस्तानी जनरलों ने सियाचिन पर कब्जा करने की योजना बनाई।

भारत को जब इसकी खुफिया जानकारी मिली तो उसने पाकिस्तान से पहले सियाचिन में सेना भेजने का फैसला किया हालांकि यह इतना आसान नहीं था। क्योकि सियाचिन में चारो तरफ बर्फ की चादर बिछी थी। बर्फ से बचने के लिए एक अलग तरह के कपड़े की जरूरत थी उस वक्त भारत के पास वह पर्याप्त मात्रा में नहीं थे। हालांकि भारत ने पाकिस्तान से पहले यानि 13 अप्रैल 1984 सियाचिन पर कब्जा करने का फैसला किया। वहीं पाकिस्तान ने सियाचिन पर 17 अप्रैल को कब्जा करने का प्लान बनाया था। इसकी के बाद ऑपरेशन मेघदूत की शुरूआत हुई। इस ऑपरेशन की कमान लेफ्टिनेंट जनरल प्रेम नाथ हून को सौपी गई।

13 अप्रैल 1984 को भारतीय सेना ने फहराया तिरंगा

बता दें कि चीता हेलीकाप्टर ने यहां जवानों को लाने के लिए 17 राउंड लगाए और जवानों को वहां पर उतारा। वहीं 13 अप्रैल 1984 को भारतीय वीर जवानों ने सियाचिन पर भारत की शान तिरंगा को लहराया। यह पर करीब 30 जवान आएं थे। इसके बाद 17 अप्रैल को मेजर एएन बहुगुणा के नेतृत्व में जवानों ने पांच किलोमीटर का रास्ता पैदल पार कर सिया ला पर तिरंगा लहराया था। हालांकि इस ऑपरेशन में भारत के कई वीर जवान शहीद हो गए थे। पूरा देश भारतीय सेनी की वीरता, बलिदान को नमन करता है।

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