ISRO: इसरो (ISRO) ने फिर एक बार इतिहास रच दिया। ब्रह्मांड को समझने की दिशा में एक महत्तवपूर्ण कदम बढ़ाया है। सोमवार को इसरो ने अपना पहला समर्पित पोलारिमेट्री मिशन एक्स-रे पोलारिमीटर सैटेलाइट (XPoSat) लॉन्च किया। अपने 60वें मिशन प्रक्षेपण के लिए तैयार पीएसएलवी के साथ श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सुबह 9:10 बजे उड़ान भरी। यह एक्सपोसैट एक्स-रे सोर्स के रहस्यों का पता लगाने और ‘ब्लैक होल’ की रहस्यमयी दुनिया का अध्ययन करने में मदद करेगा। वहीं इस मिशन का जीवनकाल करीब पांच साल का होगा।
इसरो ने रचा इतिहास
इसरो (ISRO) ने फिर एक बार इतिहास रच दिया। अपने 60वें मिशन प्रक्षेपण के लिए तैयार पीएसएलवी के के साथ श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सुबह 9:10 बजे उड़ान भरी। आपको बता दें कि इसरो के अलावा अमेरिका की अंतरिक्ष ऐजेंसी नासा ने दिसंबर में सुपरनोवा विस्फोट के अवशेषों ब्लैक होल से निकलने वाली कणों की धाराओं और अन्य खगोलीय घटनाओं को ऐसी ही अध्यन किया था। इसरो ने कहा कि एक्स-रे ध्रुवीकरण का अंतरिक्ष आधारित अध्ययन अंतरराष्ट्रीय रूप से महत्वपूर्ण हो रहा है और इस संदर्भ में एक्सपोसैट मिशन एक अहम भूमिका निभाएगा।
ब्लैक होल की रहस्यमयी दुनिया का अध्यन
इसरो सूत्रों के मुताबिक मिशन एक्स-रे पोलारिमीटर सैटेलाइट एक्स स्त्रोत के रहस्यों का पता लगाने और ब्लैक होल की रहस्यमयी दुनिया को अध्यन करने में मदद करेगा यह खगोलीय स्त्रोतो से एक्स रे उत्सर्जन का अंतरिक्ष आधारित ध्रुवीकरण का अंतरिक्ष आधारित अध्यन अंतरराष्ट्रीय रूप से महत्तवपूर्ण हो रहा है, और इस संदर्भ में एक्सपौसैट मिशन एक अहम भूमिका निभाएगा। यह POLIX और XSPECT पेलोड के माध्यम से ब्रह्मांडीय स्रोतों से एक्स-रे उत्सर्जन का ध्रुवीकरण और स्पेक्ट्रोस्कोपिक माप भी करेगा। वहीं इस मिशन का जीवनकाल करीब पांच साल का होगा।
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