Kedarnath Flood 2013: आज से 10 साल पहले यानि 16 जून 2013 को उत्तराखंड के चार धामों में से प्रसिद्ध एक धाम जिससे केदारनाथ के नाम से जाना जाता है, वहां एक ऐसी प्रलय आयी थी , जिसे सुनकर और देख कर आज तक लोगों का दिल दहल उठता है। अचानक से आई बारिश ने तबाही मचा दी थी। कहा जाता है कि, केदारनाथ में यह तबाही ग्लेशियर के एक हिस्सा पिघलने की वजह से आयी थी। इस घटना में जहां एक तरफ कई हजारों लोगों की मौत हुई तो वहीं दूसरी तरफ हजारों लोग आज तक लापता हैं। जिनका उस हादसे के बाद से कोई भी पता नहीं चला है। आज भी इस धाम में लाखों की संख्या में भक्त शिवजी के दर्शन करने के लिए आते हैं। आज इस आर्टिकल में आपको उस समय केदारनाथ की क्या हालत थी, और उसके होने के पीछे की क्या वजह थी, इसके बारे में जाननें को मिलेगा ।
याद कर लोगों की नम हुई आंखें
भले ही इस हादसे को 10 साल हो गए हो , लेकिन आज भी जब लोग इस घटना को याद करते हैं तो उनकी आंखें नम हो जाती है। खासतौर से वह परिवार जिन्होंने इस हादसे में अपने परिवार , अपने माता-पिता , अपने बच्चों को खोया था। 16 जून 2013 को आई इस प्रलय ने मानो केदारनाथ का पूरा नक्शा ही बदल दिया था। नदी से लेकर आस-पास के इलाके , मंदाकिनी नदी और चौराबाड़ी ताल टूटने से वहां का सारा रास्ता , पानी की तेज धारा में बहता चला गया था। आमतौर पर मंदाकिनी नदी पूर्व की ओर बहती थी , लेकिन खतरनाक तरीके से आई बाढ़ के चलते इस नदी ने भी अपनी दिशा को एक अलग मोड़ दिया जिसके चलते उस धार्मिक स्थल में आई तबाही और बड़े पैमाने में घटित होते चले गई थी।
लोगों ने बताई इसकी वजह
केदारनाथ धाम पूरे देश में काफी प्रसिद्ध है। 10 साल पहले केदारनाथ में हुई इस घटना को लेकर लोगों का अपना अलग- अलग मानना है । कुछ लोगों को कहना है कि उत्तराखंड एक देव भूमि है यहां पर सभी देवी-देवताओं की पूजा की जाती हैं। ऐसे में काफी सालों पहले धारी देवी मां को अपने आसान से हटा दिया गया था , जिसके चलते इस प्रकार की भयंकर आपदा उत्तराखंड में घटित हुई थी। इस आपदा में एक ऐसी चीज देखने को मिली थी जिसे देखकर लोग बहुत हैरान भी हो सकते हैं। जहां एक तरफ आए इस प्रलय से पूरे उत्तराखंड में तबाही मच गई थी , लेकिन केदारनाथ में स्थापित बाबा शिवजी की मूर्ति में किसी भी प्रकार की कोई खराबी देखने को नहीं मिली थी। लोग भी बाबा का चमत्कार मानते हैं। वहीं दूसरी तरफ लोगों का मानना हैं कि ग्लेशियर का एक हिस्से पिघलने से इस प्रकार की आपदा वहां पर घटी थी। वजह चाहे जो भी रही हो लेकिन वो मंजर किसी कयामत से कम नहीं था। आज केदारनाथ पूरी तरह से बस चुका है। जिसे देखकर लगता ही नहीं है कि, यहां पर कभी आपदा भी आयी थी।
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