Kejriwal-LG Tussle: दिल्ली सरकार-उपराज्यपाल पत्राचार युद्ध में आज एक और नया मोड़ आ गया जब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने मंगलवार को सरकार और उपराज्यपाल के कार्यक्षेत्र तथा अधिकारों पर सार्वजनिक चर्चा के लिए मंगलवार को भेंट का समय मांगा था। किन्तु एलजी कार्यालय ने तत्काल भेंटवार्ता होने में असमर्थता जता दी। इसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री सचिवालय को शुक्रवार से पहले उपराज्यपाल के पास समयाभाव की विवशता बताई है।
जानें क्या है पूरा घटनाक्रम
केजरीवाल सरकार – उपराज्यपाल के मध्य अधिकारों का झगड़ा अब लंबा खिंचता चला जा रहा है। विवाद का आरंभ दिल्ली एमसीडी मेयर चुनावों से पूर्व उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने कार्यालय के अधिकारियों से सीधे एक अधिसूचना के माध्यम से 10 पार्षदों को मनोनीत कर दिया ततपश्चात पीठासीन अधिकारी की भी नियुक्ति कर दी इससे पूर्व हज कमेटी अध्यक्ष भी नियुक्त कर चुके थे। जिससे मेयर चुनाव प्रक्रिया के समय बात बिगड़ गई मनोनीत पार्षदों के पीठासीन अधिकारी सत्या शर्मा द्वारा मनोनीत 10 पार्षदों को पहले शपथ ग्रहण करने को लेकर और आम आदमी पार्टी पीठासीन अधिकारी के इस कदम के विरोध में खड़ी हो गयी। जिससे विवाद हंगामा और दोनों पक्षों में हाथापाई में परिवर्तित हो गया। इससे मेयर चुनाव अगली बैठक तक के लिए रोक दिया गया इसी आशय से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने उपराज्यपाल को एक पत्र लिखकर कहा है कि सरकार और उपराज्यपाल के कार्यक्षेत्र तथा अधिकारों पर सार्वजनिक चर्चा होनी चाहिए साथ ही साथ चुनी हुई सरकार को अनदेखा करने पर आप अपना पक्ष भी स्पष्ट करें।
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चर्चा के लिए उपराज्यपाल कार्यालय ने लिखा पत्र
उपराज्यपाल की ओर से शासन की शक्तियों और उस पर संघर्ष पर चर्चा हेतु मुख्यमंत्री केजरीवाल को एक और पत्र के माध्यम से आमंत्रित किया गया। जिसको मुख़्यमंत्री ने स्वीकार कर मंगलवार को ही भेंट करने के लिए तत्काल समय मांग लिया गया। सोमवार को दोनों पक्षों के मध्य हुए पत्राचार युद्ध के पश्चात उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना अब मुख्यमंत्री केजरीवाल को भेंट के लिए समय नहीं दे रहे और कार्यालय की ओर से शुक्रवार शाम 4 बजे तक उपराज्यपाल की व्यस्तता का कारण बताया जा रहा है।
क्या लिखा था उपराज्यपाल ने पत्र में
उपराज्यपाल ने पत्र में मुख्यमंत्री को संबोधित करते हुए लिखा है। कि अक्टूबर 2022 तक निरंतर सरकार और हमारे मध्य बैठकें होती रही और विचारों,प्रक्रियाओं का आदान प्रदान होता रहा किन्तु उसके पश्चात से अचानक सब कुछ रुक गया। जिस कारण दोनों पक्षों में समन्वय रुक गया। इसके प्रतियुत्तर में दिल्ली के मुख्यमंत्री ने एक पत्र लिखकर कहा कि सरकार और उपराज्यपाल के कार्यक्षेत्र तथा अधिकारों पर सार्वजनिक चर्चा कीजिए।
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