MP Legislative Election 2023: मध्य प्रदेश में भी शिवराज सरकार अपने इस कार्यकाल का अंतिम बजट प्रस्तुत करने वाली है। इससे पूर्व ही ऐसा लगता है शिवराज सरकार बिजली मूल्य को लेकर कोई कठोर निर्णय ले सकती है। मध्य प्रदेश की बिजली वितरण कंपनियों न सरकार से बिजली मूल्य को बढ़ाने की मांग आयोग से की है।
मध्य प्रदेश में भी इस वर्ष के अंत में राज्य विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इससे पूर्व ही प्रदेश की बिजली वितरण कंपनियों ने राज्य के बिजली बिलों में 3.2 % की बढ़ोत्तरी की मांग कर दी है। इस आशय का एक प्रस्ताव वितरण कंपनियों ने राज्य रेगुलेटरी कमीशन को भेजा है। इस प्रस्ताव में वितरण कंपनियों ने वित्तवर्ष 2023 -24 में अनुमानित 1527 के अनुमानित घाटा होने की आशंकाओं के तहत बिजली दरों को बढ़ाने की मांग की है। हालांकि इस मूल्यबृद्धि से कृषि,उद्योगों तथा घरेलू उपभोक्ताओं पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है।
जाने किन स्लॉट में पड़ सकता है प्रभाव
रेगुलेटरी कमीशन को भेजे गए प्रस्ताव में वितरण कंपनियों ने घरेलू उपभोक्ताओं से केवल 2.79 % मूल्य बृद्धि की मांग की है। जबकि 30 यूनिट से कम उपभोग करने वालों से 3.2 % बृद्धि की मांग की है। वहीं 50 -150 यूनिट तक उपभोग करने वाले उपभोक्ताओं से 3 % मूल्य बृद्धि करने को कहा है। इसी प्रकार 150 -300 युनिट उपभोग करने वाले उपभोक्ताओं के लिए 2.79 % बृद्धि की मांग की है। 300+ यूनिट उपभोग करने वाले उपभोक्ताओं को इस प्रस्ताव में मूल्य बृद्धि से दूर रखा गया है।इससे अलग औद्यौगिक उपभोक्ताओं से 3.6 % तथा कृषि उपभोक्ताओं से 3.2% मूल्य बृद्धि की प्रस्ताव दी गई है।
चार्जिंग स्टेशन मालिकों पड़ सकती है सबसे अधिक मार
इस प्रस्तावित मूल्य बृद्धि की सबसे अधिक मार ऐसे चार्जिंग स्टेशनों पर पद सकता है। जो LV-6 श्रेणी के इलेक्ट्रिक वाहनों तथा बैटरी स्वैपिंग स्टेशनों के लिए जाने जाते हैं। इनके लिए 16 % बढ़ोत्तरी की मांग की गई है। वर्तमान में इस श्रेणी के उपभोक्ताओं से 6 रूपये यूनिट की दर से मूल्य लिया जा रहा है। जिसे बढ़ाकर 6. 97 रुपए करने का प्रस्तावित है। वितरण कंपनियों ने हालाँकि ये मांग केवल चार्जिंग स्टेशनों के लिए की है घरेलू कनेक्शन से निजी वाहन चार्ज करने वाले उपभोक्ताओं को इससे दूर रखा गया है।
विपक्षी कांग्रेस है अवसर की प्रतीक्षा में
मध्य प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस शिवराज सरकार की इस प्रस्तावित मुलयबृद्धि के विषय को हाथों हाथ लपकने की ताड में है। ताकि मंहगी बिजली के विषय पर सरकार को घेर सके। भाजपा भी इस प्रस्ताव पर फूंक फूंककर निर्णय लेने के पक्ष में है। क्योंकि वह जानती है 2018 विधानसभा चुनाव में बहुत ही कड़ी टक्कर में कांग्रेस से हार चुकी है। कांग्रेस निःशुल्क बिजली, पानी की घोषणा करके चुनावी हवा पलट सकती है, और उपभोगताओं के रोष को भुना सकती है।