MP Legislative Election 2023: मध्य प्रदेश चुनावी वर्ष में प्रवेश कर चुका है अब बस प्रतीक्षा है सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने की। राज्य का राजनितिक मौसम भी चुनावी रंग में रंगना आरंभ हो जाएगा। सत्ताधारी भाजपा जहां बजट पूर्व राज्य में विकास यात्रााओं की रणनीति बना चुकी है वहीं प्रमुख विपक्षी कांग्रेस भी अपनी पिछली चुनावी सफलता को और धार देकर सुद्रण करना चाहती है। वर्तमान भाजपा सरकार का कार्यकाल 7 दिसंबर 2023 को समाप्त हो रहा है ऐसे में यदि चुनाव आयोग की तैयारियों का आधार पिछले अनुभवों के आधार पर देखा जाए तो सुगमता से अनुमान लगाया जा सकता है चुनाव आयोग किसी भी सरकार के कार्यकाल समाप्त होने से एक माह पूर्व चुनाव मतदान सम्पन्न करा लेता है। इस प्रकार चुनाव मतदान नबंबर माह में संपन्न हो सकता है। इसी प्रकार मतदान प्रक्रिया से पूर्व चुनाव आयोग चुनाव में भाग लेने वाले दलों को चुनाव प्रचार,रैलियों ,जनसंपर्क इत्यादि करने के लिए लगभग एक माह का समय प्रदान करता है। अतः चुनावो की तिथि घोषित होने के तत्काल प्रभाव से चुनाव अचार संहिता लागू हो जाती है। इस आधार पर अक्टूबर माह में चुनाव तिथियों की घोषणा चुनाव आयोग कर सकता है। इस प्रकार देखा जाए तो मध्य प्रदेश के राजनितिक दलों के पास अपनी योजनाओं को धार देने के लिए मात्र 9 माह शेष हैं।
आइये जानते हैं क्या है दोनों पार्टियों की योजनाएं
चुनावी वर्ष 2023 में प्रवेश की आहट होते ही भाजपा ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह सिंह चौहान के नेतृत्व में विकास यात्राओं को निकालने का निर्णय किया है। वैसे तो मन जाता है कि भाजपा चुनावी मोड़ पर ही कार्य करने के लिए ही जानी जाती है। बस अंतर मात्र इतना है कि चुनावी वर्ष में और अधिक सक्रिय हो जाती है। इसी क्रम में प्रदेश बीजेपी अगले माह 1 फरवरी से लेकर 15 फरवरी तक प्रदेश भर में विकास यात्राओं को निकालने जा रही है। इन्हीं विकास यात्राओं के दौरान बीजेपी नेता कुछ नई योजनाओं का शिलान्यास और कुछ योजनाओं का लोकार्पण भी करेंगे। प्रदेश प्रभारी तो विगत वर्ष दिसंबर से जिला स्तर पर तथा संभाग स्तर पर नियमित बैठकों को आरंभ कर चुके है। इंदौर में प्रवासी भारतीय दिवस के माध्यम से हो अथवा दिल्ली में होने जा रही राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक भी मध्य प्रदेश को केंद्रित कर हो सकती है।
कांग्रेस की तैयारियां भी तेजी पर
मध्य प्रदेश में राहुल के नेतृत्व में जब से कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा गुजरी है। तब से प्रदेश कांग्रेस में एक अतिरिक्त सा ऊर्जा संचार देखा जा रहा है। प्रदेश कांग्रेस अपनी पिछली चुनावी सफलता में रह गई कमियों को धार देना चाहती है और इस बार चुनावी संघर्ष को एकतरफा बनाने के प्रयास में जुट गई है। इसी क्रम में पार्टी इस माह से ‘हाथ से हाथ’ जोड़ो अभियान आरंभ करने जा रही है। इसके माध्यम से पार्टी बूथ स्तर तक अपने कार्यकर्ताओं को मतदाताओं से सीधे संपर्क करने को गति देना चाहती है। ताकि भाजपा को उसी की रणनीति से पराजित किया जा सके। इसके साथ साथ उन सीटों को केंद्रित कर रही है जहां पिछले विधानसभा चुनावों में बहुत ही निकटवर्ती संघर्ष में पराजय हुई थी।
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