Pilot-Gehlot Tussle: राजस्थान में कांग्रेस की आंतरिक कलह थमने का नाम नहीं ले रही। अशोक गहलौत तथा सचिन पायलट के मध्य राज्य में राजनीतिक वर्चस्व की लड़ाई चरणबद्ध तरीके से जारी है। कांग्रेस के अंदर की रानीतिक तापमान उफान पर है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच पार्टी हाईकमान अब तक विवाद सुलझाने में असफल रहा है। इसी क्रम में गहलौत गुट के विधायकों द्वारा त्यागपत्र वापस लेने की रणनीति के पश्चात अब बारी सचिन पायलट की थी। राजनितिक पंडितों के मध्य ऐसे अनुमान लगाए जा रहे हैं।
सभाओं और रैलियों को लेकर बड़ी रणनीति
बजट से पूर्व राजस्थान कांग्रेस में कुछ उठापटक हो सकती है। इसका आरंभ सचिन पायलट ने शेखावटी में किसान सभा करने की घोषणा से कर दी। इसके साथ साथ ही प्राप्त जानकारी के अनुसार सचिन पायलट की ओर से अब एक नए निर्णय से राजनीतिक तापमान बढ़ गया है। इसके अनुसार सचिन पायलट मकर संक्रांति के पश्चात कांग्रेस के गढ़ झुंझनू ,सीकर और शेखावटी में क्षेत्रों में लगभग 5 रैलियां और रोड शो करने का निर्णय कर चुके हैं। पायलट द्वारा रैलियों को आयोजित करने की घोषणा ने बजट सत्र में जुटी गहलोत सरकार की टेंशन बढ़ा दी है। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि चुनावी वर्ष और बजट से पूर्व सचिन पायलट कांग्रेस तथा अशोक गहलौत को कोई निर्णायक संदेश दे सकते हैं। इस शक्ति प्रदर्शन के पश्चात कदापि वो अपने राजनितिक भविष्य के बारे में भी कोई नई रेखा खींच सकते हैं।
हालाँकि उनकी रैलियों सभाओं की व्यवस्था में जुटे मंत्री राजेंद्र सिंह गुढ़ा ने सचिन पायलट की इस रणनीति को समूचे राजस्थान के सभी 36 वर्गों के नागरिक अधिकारों, उनकी समस्याओं,मंहगाई बेरोजगारी तथा अन्य स्थानीय समस्याओं को लेकर करने की बात कही हैं। किन्तु राजनितिक पंडित स्पष्ट रूप से विधानसभा चुनावो से पूर्व शक्ति प्रदर्शन के रूप में देख रहे हैं।
आखिर क्या चाहता है पायलट गुट
पायलट गुट निरंतर आलाकमान पर दबाब बना रहा है कि अनुशासनहीनता के आरोपी 2 मंत्री और एक नेता मंत्री शांति धारीवाल और महेश जोशी के अतिरिक्त मुख्यमंत्री गहलोत के बहुत ही निकट धर्मेंद्र राठौड़ हैं। वो पूछ रहे हैं इन पर अब तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई है ? इसी प्रकार राजस्थान में भी चुनाव पूर्व मुख्यमंत्री को परिवर्तित करने की मांग सचिन पायलट गुट के द्वारा आलाकमान से निरंतर की जा रही है। कांग्रेस हाईकमान निरंतर पायलट को आश्वासन देता रहा कि सब कुछ सही हो जाएगा किन्तु राहुल की भारत जोड़ो यात्रा राजस्थान में हो जाने के पश्चात भी आश्वासन के अतिरिक्त कुछ नहीं हुआ। विधानसभा चुनाव के भी अब मात्र 10 माह ही शेष हैं। अतः सचिन पायलट का धैर्य जबाब दे गया है और बजट सत्र से पूर्व कुछ निर्णायक कर देना चाहते हैं।
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