PM Modi: 7 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी का दो दिवसीय दौरा करेंगे। इस दौरान पीएम मोदी वाराणसी में स्थित संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय भी जाएंगे। वाराणसी में स्थित इस विश्वविद्यालय की खासियत बहुत ज्यादा है। बता दें कि, इस विश्वविद्यालय में 95000 पांडुलिपियां संरक्षित की गई हैं। ऐसे में आज हम आपको इस आर्टिकल के जरिए 200 साल पुराने संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के रोचक इतिहास के बारे में बताने जा रहे हैं।
संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के लिए की गई थी विश्वविद्यालय की स्थापना
वाराणसी में स्थित 200 साल पुराने संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय कई मायनों में बेहद खास है। बता दें कि, इस विश्वविद्यालय की लाइब्रेरी को शुरू में प्रिंस ऑफ वेल्स सरस्वती भवन कहा जाता था। इसमें पांडुलिपियां देवनागरी, खरोष्ठी, मैथिली, उड़िया, गुरुमुखी, तेलुगु, कन्नड़ और संस्कृत सहित विभिन्न लिपियों में लिखी गई हैं। इसी के साथ ऐसा बताया जाता है कि, इस विश्वविद्यालय की स्थापना सन 1791 में संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के लिए की गई थी। इसी के साथ इस विश्वविद्यालय में वेद, वेदांत, पुराण, आयुर्वेद, साहित्य, ज्योतिष, धर्मशास्त्र, मीमांसा, न्याय आदि विषयों के शिक्षण की व्यवस्था थी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी करेंगे विश्वविद्यालय का दौरा
वहीं विश्वविद्यालय के पीआरओ शशींद्र मिश्र ने कहा कि, पंडित काशीनाथ इसके प्रथम गुरु एवं आचार्य थे। इस विश्वविद्यालय की स्थापना 22 मार्च 1958 को तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ संपूर्णानंद और शिक्षा मंत्री पंडित कमलापति त्रिपाठी ने वाराणसी में वाराणसी संस्कृत विश्वविद्यालय के रूप में की थी। बाद में इसका नाम बदलकर यूपी राज्य के तहत संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय कर दिया गया। इसी के साथ उन्होंने बताया कि पीएम मोदी की यात्रा के लिए चल रही तैयारियों का जायजा लेने के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 5 जुलाई को इस विश्वविद्यालय का दौरा कर सकते हैं।
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