Bhagat Singh: 23 मार्च शहीद-ए-आज़म भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव, तीन स्वतंत्रता सेनानियों का शहीदी दिवस है। इन स्वतंत्रता सेनानियों की मृत्यु 93 साल पहले हुई थी। भगत सिंह स्वतंत्रता आंदोलन में अपनी भूमिका के लिए प्रसिद्ध हैं, लेकिन आगरा में उन्हें भगवान के रूप में पूजा जाता है। भगत सिंह के पास एक गुप्त स्थान था जहाँ वे अक्सर अपने दोस्तों के साथ समय बिताते थे। वहां उनका मंदिर बनाया गया है। इस मंदिर में भगत सिंह के पैतृक गांव (बंगा पाकिस्तान ) के पड़ोसी गांव से ताल्लुक रखने वाले विनोद साहनी हर दिन पूजा करते हैं। भगत सिंह के इस मंदिर के निर्माण के पीछे की कहानी दिलचस्प है।
सन 1999 में बना शहीद भगत सिंह का मंदिर
24 साल पहले 1999 में आगरा के नूरी दरवाजा में शहीद भगत सिंह का मंदिर बना था। बता दें कि, इस मंदिर का निर्माण तत्कालीन सांसद भगवान शंकर रावत ने करवाया था। स्थानीय निवासी नवीन अग्रवाल ने हमें बताया कि भगत सिंह और उनके क्रांतिकारी साथियों का नूरी दरवाजा से गहरा नाता है। इस कस्बे में लोग स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान शहीद भगत सिंह को उनके कार्यों के लिए याद करते हैं। वे उन्हें एक ऐसे व्यक्ति के रूप में याद करते हैं जिन्होंने स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया और जिन्होंने देश को एक बेहतर स्थान बनाया।
10 सालों से हर दिन जा रहे मंदिर
विनोद साहनी बताते हैं, “मेरे दादा-दादी और माता-पिता मुझे बचपन में शहीद भगत सिंह के बारे में बताते थे। तब से उन्हें क्रांतिकारियों के बारे में पढ़ने और जानने का शौक लगा। जब उन्होंने नूरी दरवाजे पर भगत सिंह का मंदिर देखा, तो वो वहां पर जाकर साफ-सफाई करने लगा।” उन्होंने बताया, ”मैं करीब 10 सालों से हर दिन मंदिर जाता हूं। हर दिन भगत सिंह की प्रतिमा पर माला चढ़ाता हूं। इसके अलावा स्थानीय निवासी भी मंदिर की देख-रेख करते हैं। भगत सिंह ने देश को आजादी दिलाने के लिए अपनी जान दे दी। आज उन जैसे क्रांतिकारियों की बदौलत ही हमारा देश आजाद है। मगर, अफसोस होता है कि नई पीढ़ी इन क्रांतिकारियों को केवल उनकी जयंती और पुण्यतिथि पर ही याद करती है।”
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