Bilikis Bano Case: गुजरात के चर्चित बिलकिस बानो केस में दोषियों की समय से पहले रिहाई को लेकर दायर की गई याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 2 मई 2023 को अंतिम सुनवाई करेगा। जब कि गुजरात सरकार ने इस मामले में रिहाई से जुड़ी फाइल को दिखाने के आदेश का विरोध किया है। राज्य सरकार की दलील है कि सभी दोषियों को कोर्ट के फैसले के आधार पर ही रिहा किया गया है। बता दें बिलकिस बानो के अलावा टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा तथा सुभाषिनी अली ने आदेश को रद्द करने की कोर्ट से मांग की याचिका दायर की है।
जानें क्या कहा कोर्ट ने
बिलकिस बानो रेप केस मामले की सुनवाई कर रही सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस केएम जोसेफ तथा बी वी नागरत्ना की बैंच ने सरकार के फैसले पर तल्ख टिप्पणी कर कहा कि ‘सेब की तुलना संतरे से नहीं की जा सकती, इसी तरह नरसंहार की तुलना एक हत्या से नहीं की जा सकती।’ कोर्ट ने आगे कहा कि “एक गर्भवती महिला के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया और कई लोग मारे गए। आप पीड़ित के मामले की तुलना हत्या के मामलों से नहीं कर सकते।” कोर्ट ने आगे कहा कि ‘सवाल यह है कि क्या सरकार ने अपना दिमाग लगाया और छूट देने के अपने फैसले के आधार पर क्या योजना बनाई? आज बिलकिस है कल आप और मुझमें से कोई भी हो सकता है। ऐसे में तय मानक होने चाहिए यदि आप हमें छूट देने के अपने कारण नहीं बताते हैं तो हम अपना निष्कर्ष निकाल लेंगे।’
इसे भी पढ़ेंःDelhi MCD Election 2023: BJP ने इन महिला उम्मीदवारों पर लगाया दांव, जानिए क्या है रणनीति?
जानें क्या है मामला
बता दें 2002 में गोधरा स्टेशन पर खड़ी साबरमती एक्सप्रेस में आगजनी कर अयोध्या से लौट रहे श्रद्धालुओं की मौत से पूरे गुजरात में हिंसा भड़क गई थी। इस दौरान बिलकिस बानो के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया। इसके साथ ही उनके परिवार के 7 सदस्यों की भी हत्या कर दी गई थी। जिसके बाद 21 जनवरी 2008 को दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। पिछले साल कोर्ट के आदेश के बाद 15 अगस्त को दोषियों को रिहा कर दिया गया। इसी के विरुद्ध याचिका डाली गई है।
इसे भी पढ़ेंः Maharashtra Politics: क्या अजित पवार NCP छोड़ थामेंगे BJP का दामन? इन अटकलों के बीच दिया बड़ा बयान