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Same Sex Marriage मामले में तीसरे दिन की सुनवाई खत्म, याचिकाकर्ता की मांग-‘SMA में सरकार को ‘जीवनसाथी’ जोड़ने की जरूरत’

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Same Sex Marriage Case: समलैंगिक विवाह मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई का तीसरा दिन है। जहां याचिकाकर्ताओं का कहना है कि देश के नागरिक होने के नाते उन्हें सम्मान तथा समानता से रहने का अधिकार मिलना चाहिए। तो इस मुद्दे का केंद्र सरकार तथा मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड कड़ा विरोध कर रहे हैं। केंद्र ने पहले दिन कहा कि कानून बनाना संसद का काम है,कोर्ट इसे नहीं सुन सकती। तो कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता को सुनने तो दें। दूसरे दिन केंद्र ने कहा कि कोर्ट सुनना ही चाहती है तो कोर्ट देश के सभी राज्यों, प्रदेशों को सुनवाई का पक्ष बनाए, तब आगे बढ़े। लेकिन कोर्ट ने सुनवाई जारी रखी। केंद्र की ओर से जहां सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पक्ष रख रहे हैं तो याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी,अभिषेक मनु सिंघवी इत्यादि हैं।

आज की सुनवाई का सिलसिला

वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी और केवी विश्वनाथन ने आज की सुनवाई में दलील देना शुरू किया।

CJI चंद्रचूड़– हमने इससे पहले समलैंगिकता के इस विषय को अपराध की श्रेणी से बाहर किया है। हमने यह माना कि समान लिंग दो लोग स्थिर संबंधों में होंगे, जो कि एक विवाह जैसा रिश्ता है। जो भावनाओं से बढ़कर है।

वकील रामचंद्रन- सेंट्रल एडॉप्शन रेगुलेशन अथॉरिटी के नियम गैर शादीशुदा, किसी एक शख्स को बच्चा गोद लेने की अनुमति नहीं देते। कोई फर्क नहीं पड़ता कि गोद लेने वाला जोड़ा समलैंगिक है या विषमलैंगिक।

CJI चंद्रचूड़- और क्या होता है जब एक विषम लैंगिक जोड़े का बच्चा घरेलू हिंसा देखता है। एक पिता शराब पीकर घर आता है,मां को पीटता है और शराब के लिए पैसे मांगता है। समलैंगिक जोड़ा शादी के समान लाभ चाहता है जिसमें सहवास और विवाह करने के सभी लाभ हों।

CJI चंद्रचूड़-  विषमलैंगिक मामलों में भी शिक्षा के प्रसार के कारण, आधुनिक जीवनशैली के दबाव से जोड़े या तो निःसंतान हैं या एकल बच्चे वाले।

केवी विश्वनाथन- हमने एसएमए को चुनौती दी है क्योंकि यह विषमलैंगिक के अलावा अन्य विवाहों को मान्यता नहीं देता। सरकार को स्पेशल मेरिज एक्ट में पति,पत्नी अथवा “जीवनसाथी” जोड़ने की आवश्यकता है।

CJI चंद्रचूड़- आज की सुनवाई खत्म।

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