Uttarakhand: उत्तराखंड में अंकिता हत्याकांड के बाद पुलिस व्यवस्था काफी सख्त हो गई है। अंकिता भंडारी हत्याकांड में राजस्व पुलिस पर कई सवाल खड़े हुए थे। अब उसके बाद सरकार ने इस मामले में बेहतर कदम उठाते हुए उत्तराखंड 3 क्षेत्रों में डिवाइड किया है। इन तीनों क्षेत्रों में अलग-अलग अधिनियम लागू होते हैं जो राजस्व अधिकारियों को गिरफ्तारी और जांच का भी अधिकार देते हैं। डिवाइड किए गए क्षेत्रों में पहला कुमाऊं और गढ़वाल, दूसरा टिहरी और उत्तरकाशी की पहाड़ी पट्टी और तीसरा क्षेत्र देहरादून जिले का जौनसार बावर क्षेत्र शामिल है।
पुलिस व्यवस्था से अपराध में आएगी कमी
फैसला दिया गया है कि उत्तराखंड के 1800 राजस्व गांवों में कानून व्यवस्था लगातार पुलिस संभालेगी। पुलिस की व्यवस्था को समाप्त कर इन गांवों को रेगुलर पुलिस के अधीन करने के लिए अधिसूचित कर दिया गया है। इसमें पहले चरण में 52 थाने और 19 पुलिस चौकियों का सीमा विस्तार किया जा सकता है। इसके अलावा पर्वतीय क्षेत्रों में 7500 ऐसे गांव है, जहां पर कानून व्यवस्था का जिम्मा राजस्व पुलिस के पास है। सरकार का मानना है कि गांव में नियमित पुलिस व्यवस्था होने से अपराध व सामाजिक गतिविधियों में कमी आ सकती है।
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इन क्षेत्रों को पुलिस व्यवस्था के लिए शामिल
इसके बाद दूसरे चरण में 6 नए थाने और 20 पुलिस चौकियों को बनाया जा सकता है। सरकार की ओर से देहरादून जिले के 4, उत्तरकाशी के 182, चमोली के 262, टिहरी के 157, हर की पौड़ी के 148, रुद्रप्रयाग के 63, नैनीताल के 39, अल्मोड़ा के 231, पिथौरागढ़ के 595, बागेश्वर के 106, चंपिवत के 13 गांव नियमित पुलिस व्यवस्था के लिए अनुसूचित किए गए हैं। नई थाने व चौकियों का गठन करके लगभग 1444 राजस्व ग्राम नियमित पुलिस व्यवस्था के अधीन करने की प्रक्रिया जल्द ही पूरी की जाएगी।
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