Saturday, November 2, 2024
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April Fool 2023: आखिर क्यों 1 अप्रैल को ही मनाया जाता है ‘मूर्ख दिवस’, जानें कैसे शुरू हुआ फिरकी लेने का रिवाज

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Punjab News: पंजाब की चार विधानसभा सीटों पर 13 नवंबर को उपचुनाव होना है। इससे पहले राज्य में सियासी उठा-पटक जारी है। दावा किया जा रहा है कि वर्तमान राजनीतिक समीकरण के हिसाब से पंजाब (Punjab News) की सत्तारुढ़ दल आम आदमी पार्टी (AAP) की दावेदारी मजबूत है।

April Fool 2023: जब आप ‘मूर्ख दिवस’ का नाम सुनते हैं, तो आप सोच सकते हैं कि यह उन लोगों का मजाक उड़ाने का दिन है जिन्हें आसानी से मूर्ख बनाया जाता है। लेकिन हम आपको बताना चाहते हैं कि इस दिन का मूर्खता से कोई लेना-देना नहीं है। इस खास दिन के पीछे कई किस्से हैं।

आखिर क्या है अप्रैल फूल डे

अप्रैल फूल डे एक ऐसा दिन है जहां लोग अपने दोस्तों और परिवार को कुछ अजीबोगरीब हरकतें करके या कुछ ऐसा करने का नाटक करके बेवकूफ बनाने की कोशिश करते हैं जो सच नहीं है। यह अप्रैल के पहले दिन से शुरू हुआ, जो महीने का पहला दिन भी है।

यह कहानी है चर्चा में

कुछ लोग कहते हैं कि अप्रैल फूल डे की शुरुआत 1381 में हुई थी जब किंग रिचर्ड ने एक महत्वपूर्ण लड़ाई जीती थी। जब लोगों को पता चला कि वह जीत गया है, तो वे खुश थे, लेकिन 31 मार्च को लोगों को एहसास हुआ कि यह खबर झूठी थी यह सब अप्रैल फूल का मज़ाक था। तभी से 1 अप्रैल को लोगों को मूर्ख बनाने के दिन के रूप में मनाया जाने लगा। कुछ का कहना है कि यह परंपरा 1392 में शुरू हुई थी।

कुछ इस तरह हुई थी अप्रैल फूल की शुरुआत

कुछ लोग सोचते हैं कि नए साल का दिन वास्तव में 1 अप्रैल को शुरू होता है, लेकिन यह सच नहीं है। दरअसल, 1 जनवरी को ही नए साल की शुरुआत हो गई थी। लेकिन पोप ग्रेगरी XIII ने एक नया कैलेंडर अपनाने का निर्णय लिया और इसलिए उसी समय से लोगों ने 1 जनवरी को नया साल मनाना शुरू कर दिया। कुछ लोगों ने अभी भी 1 अप्रैल को नया साल मनाया, लेकिन उनका मजाक उड़ाया गया। ऐसे हुई अप्रैल फूल डे की शुरुआत। लेकिन 19वीं शताब्दी तक आते-आते यह एक बहुत लोकप्रिय अवकाश बन गया था।

विश्व में ऐसे मनाया जाता है अप्रैल फूल

1 अप्रैल को दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में लोग अप्रैल फूल डे को अलग-अलग तरीके से मनाते हैं। ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, इंग्लैंड और कुछ अफ्रीकी देशों में दिन 12 बजे समाप्त होता है। अन्यत्र, यह 1 अप्रैल को पूरे दिन कनाडा, अमेरिका, रूस और अन्य यूरोपीय देशों में मनाया जाता है। कुछ रिपोर्टों में कहा गया है कि इस छुट्टी की शुरुआत 19वीं शताब्दी में भारत में हुई थी और आज यह वहां भी लोकप्रिय है।

Anjali Wala
Anjali Walahttp://www.dnpindiahindi.in
अंजलि वाला पिछले कुछ सालों से पत्रकारिता में हैं। साल 2019 में उन्होंने मीडिया जगत में कदम रखा। फिलहाल, अंजलि DNP India वेब साइट में बतौर Sub Editor काम कर रही हैं। उन्होंने बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी से हिंदी पत्रकारिता में मास्टर्स किया है।

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