Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य बहुत बड़े नीतिकार, सलाहकार और अर्थशास्त्री थे। इनकी नीतियां विश्व प्रसिद्ध है। आचार्य चाणक्य ख्याति प्राप्त विद्वान थे। इन्हें कई विषयों का ज्ञान था। इतना ही नहीं सभी राजा महाराजा आचार्य से शिक्षा प्राप्त किया करते हैं और अपने प्रजा पर राज करते थे। आचार्य के शिष्य भी बड़े विद्वान की श्रेणी में शामिल थे।
आचार्य चाणक्य ने महिला एवं पुरुष के चरित्र पर विस्तार पर वर्णन किया है। इतना ही नहीं आचार्य ने व्यक्ति के जीवन से जुड़ी चीजों को भी दर्शाया है। इन्होंने बताया है कि जो मनुष्य ज्ञानी होता है, शिक्षित होता है वहीं गुणों से भरपूर होता है। उसी मनुष्य की चर्चा समाज में होती है। तो आइए विस्तार से जानते हैं किस प्रकार के मनुष्य के विषय में आचार्य ने अपनी नीति में विस्तार से बताया है।
इस श्लोक में आचार्य चाणक्य ने किया है व्याख्या
गुणा: सर्वत्र पूज्यन्ते न महत्योऽपि सम्पद:।
पूर्णेन्दु किं तथा वन्द्यो निष्कलङ्को यथा कृश:॥
इस श्लोक से क्या निकलता है अर्थ
आचार्य चाणक्य इस नीति में बताते हैं कि जो व्यक्ति गुणों से लबरेज होता है। उसी व्यक्ति की समाज के सम्मान और सत्कार की जाती है। मान प्रतिष्ठा के योग्य वही व्यक्ति होता है जिसके पास ज्ञान का भंडार हो। ज्ञानी व्यक्ति का ही हमेशा आदर और सम्मान किया जाता है।
आचार्य चाणक्य कहते हैं जो व्यक्ति मूर्ख होता है मगर उसके पास धन दौलत की कमी नहीं होती है। ऐसे लोग भी सम्मान के पात्र नहीं होते हैं। सम्मान का हकदार वही व्यक्ति होता है जिसके पास विद्या हो। जो व्यक्ति ज्ञान से भरपूर हो। वहीं जिसे शास्त्र से जुड़ी बातों का ज्ञान हो। इन्ही लोगों की समाज में पूजा होती है। वहीं मूर्ख व्यक्ति का इस संसार में कोई नहीं होता है। उसके लिए ये पृथ्वी नर्क के समान है। उसका कभी धरती पर भला नहीं हो सकता है।
इस नीति से क्या निकलता है निष्कर्ष
आचार्य चाणक्य इस नीति में कहना चाहते हैं कि हर व्यक्ति को शिक्षित होना चाहिए। विद्याहीन व्यक्ति का इस संसार में कोई नहीं है। आपको समाज में मान प्रतिष्ठा तभी मिलेगी जब आप शिक्षा से पूर्व होंगे। मूर्ख व्यक्ति को कभी काबिल नहीं समझा जाता है। उसके लिए ये धरती नर्क के समान है।
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