Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य बहुत बड़े अर्थशास्त्री नीतिकार और सलाहकार थे। वहीं आचार्य चाणक्य ख्याति प्राप्त विद्वान थे। आचार्य की नीतियां विश्व प्रसिद्ध है। सभी लोग आचार्य को मार्गदर्शक मानते हैं और इनकी नीतियों से जीवन यापन करने की कोशिश करते हैं। आचार्य से राजा महाराजा भी शिक्षा ग्रहण किया करते थे और अपने प्रजा पर शासन किया करते थे।
आचार्य चाणक्य महिला एवं पुरुष के चरित्र के चित्रण को अपनी नीति में बेखूबी दर्शाए हैं। वहीं आचार्य महिला के गुणों की व्याख्या अपनी नीति में किए हैं। आचार्य कहते हैं जिस घर में दुष्ट स्त्री का वास होता है उस घर का नास निश्चित है। वहीं जिस महिला का स्वभाव दुष्ट होता है वो महिला घर के विनाश का कारण बनती है। तो आइए विस्तार से जानते हैं क्या कहना चाहते हैं आचार्य।
इस श्लोक में आचार्य ने किया है व्याख्या
दुष्टा भार्या शठं मित्रं भृत्यश्चोत्तरदायकः ।
ससर्पे च गृहे वासो मृत्युरेव न संशयः
इस नीति का क्या है अर्थ
आचार्य चाणक्य इस नीति में कहना चाहते हैं कि जिस महिला का स्वभाव दुष्ट होता है। वहीं उनका वचन कठोर होता है। इसके अलावा दुराचारिणी स्त्री और धूर्त स्त्री का भी वास कहीं नहीं होता है। आचार्य चाणक्य कहते हैं कि ऐसी महिला का घर में रहना बेहद कष्टदायक है।
आचार्य चाणक्य का कहना है कि जिस घर में दुष्ट स्त्री का वास होता है। उस घर के गृहस्वामी की स्थिति मृतक के समान हो जाती है। इसके अलावा दुष्ट मित्र के होने से जिंदगी बर्बाद हो जाती है। आचार्य चाणक्य कहते हैं, दुष्ट स्वाभाव वाला मित्र व्यक्ति के विनाश का कारण बनता है।
इस निति से क्या निकलता निष्कर्ष
इस निति में आचार्य कहना चाहते हैं, ऐसे व्यक्ति से लोगों को दूर रहना चाहिए। वरना व्यक्ति का विनाश कारण बनता है। इसलिए आचार्य कहते हैं, किसी भी स्त्री से विवाह करने पहले उसके व्यवहार को जानना चाहिए। इसलिए किसी भी व्यक्ति से परिचय और रिश्ते जोड़ने से पहले उसे बेहतर ढंग से जान लेना चाहिए।
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