Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य की नीतियां विश्व प्रसिद्ध है। आचार्य चाणक्य ख्याति प्राप्त विद्वान थे। आचार्य पेशे से नीतिकार, सलाहकार और अर्थशास्त्री थे। आचार्य चाणक्य जीवन से जुड़ी बातों का वर्णन अपनी नीति में क्या करते थे। आज इसी का परिणाम है कि आचार्य की नीतियां सभी को आगे बढ़ने का मार्ग दिखाती है। आचार्य से सभी राजा महाराजा भी शिक्षा प्राप्त किया करते थे। आचार्य से शिक्षा प्राप्त कर वो एक सफल और योग्य राजा के कार्यभार को संभालते थे।
आचार्य चाणक्य ने कई सारी चीजों का व्याख्या अपनी नीति में क्या है। इन्होंने बताया है कि एक व्यक्ति का घर सुखी रह सकता है। वहीं आचार्य कहते हैं कि एक व्यक्ति कब अपना जीवन सुख समृद्धि के साथ व्यतीत कर सकता है। वहीं किस घर की सुख समृद्धि हमेशा बनी रहती है। आचार्य ने इन सारी चीजों की व्याख्या अपनी नीति में किया है। तो आइए विस्तार से जानते हैं आचार्य ने किन चीजों की व्याख्या अपनी नीति में की है।
इस श्लोक में आचार्य ने किया है स्पष्ट
सानन्दं सदनं सुताश्च सुधियः कान्ता प्रियभाषिणी
सन्मित्रं सधनं स्वयोषिति रतिः चाज्ञापराः सेवकाः ।
आतिथ्यं शिवपूजनं प्रतिदिनं मिष्टान्नपानं गृहे
साधोः सङ्गमुपासते हि सततं धन्यो गृहस्थाश्रमः ॥
इस श्लोक से क्या निकलता अर्थ
आचार्य चाणक्य इस नीति में एक सुखी व्यक्ति के जीवन को स्पष्ट कर रहे हैं। इनका कहना है कि एक व्यक्ति का घर तभी सुखी हो सकता है। जब उनकी संतान विद्यावान हो। विद्वान संतान के होते हुए एक पुरुष सदैव सम्मान से सम्मानित होता है। वहीं आचार्य कहते हैं कि जिस पुरुष की पत्नी मृदुभाषी होती है उसके जीवन में किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं होती है।
इसके अलावा आचार्य कहते हैं जो पुरुष ईमानदारी से धन अर्जित करता है। जिसके पास अच्छे और योग्य मित्र होते हैं। जिस व्यक्ति के मन में अपनी पत्नी के प्रति प्रेम झलकता है। वो व्यक्ति हमेशा सुख समृद्धि के साथ जीवन व्यतीत करता है। उसके जीवन में कभी भी किसी भी प्रकार की मुसीबत नहीं आती है।
इसके बाद आचार्य कहते हैं जिसके घर का नौकर चाकर हमेशा उसकी आज्ञा का पालन करता हो। उसके घर के अतिथि सत्कार में किसी भी चीज की न हो। वहीं वो अपने परम पिता परमेश्वर की उपासना करता हो। इसके अलावा भी आचार्य ने बताया है कि जिसके घर में अच्छे और स्वादिष्ट पेय पर खाद्य पदार्थों की व्यवस्था हो। ऐसे पुरुषों को जीवन में किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता है। इससे उनका जीवन सुख समृद्धि के साथ व्यतीत होता है। इससे उनके जीवन में किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं आती है। इस श्लोक और नीति में आचार्य ने एक सफल पुरुष के जीवन के विषय में व्याख्या किया है।
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