Chanakya Niti: भारत देश के बड़े विद्वानों की लिस्ट में आचार्य चाणक्य शामिल हैं। आचार्य पेशे से अर्थशास्त्री, नीतिकार और सलाहकार हैं। आचार्य की नीतियां विश्व प्रसिद्ध है। आचार्य चाणक्य अपनी नीति में कई सारी चीजों का उल्लेख किया है जो लोगों को आगे बढ़ने का मार्ग दिखाती है।
आचार्य चाणक्य ने महिला पुरुष एवं कई बड़ी चीजों का वर्णन अपनी नीति में किया है। इन्होंने पति-पत्नी के संबंधों को भी दर्शाया है। इतना ही नहीं आचार्य ने अपनी नीति में मित्र की कई सारी बातों को उल्लेख किया है। कहते हैं ऐसे मित्र का त्याग व्यक्ति को तुरंत त्याग कर देना चाहिए जो मुंह पर मीठी-मीठी बातें करता है और पीठ पीछे उसकी बुराई करता है। तो आइए विस्तार से जानते हैं क्या कहना चाहते हैं आचार्य।
इस श्लोक में आचार्य ने किया है व्याख्या
परोक्षे कार्यहन्तारं प्रत्यक्षे प्रियवादिनम् ।
वर्जयेत्तादृशं मित्रं विषकुम्भं पयोमुखम्
इस श्लोक से क्या निकलता अर्थ
आचार्य चाणक्य ने इस श्लोक में कई चीजों पर व्याख्या किया है। आचार्य कहते हैं कि ऐसे मित्र से सावधान रहना ही उचित है। वरना जिंदगी में कई बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। आचार्य कहते हैं ऐसा मित्र विष के समान होता है जो मुंह पर चिकनी-चुपड़ी बातों को करता है और पीठ पीछे बुराई करता है। इसलिए व्यक्ति को ऐसे मित्र से दूरी ही बनाकर रखनी चाहिए। आचार्य कहते हैं ऐसे लोगों से कभी भी दोस्ती के बदले दोस्ती नहीं मिलती है। इसलिए ऐसे लोगों से दुरी बनाकर रखनी चाहिए।
आचार्य चाणक्य ने मित्र के स्वभाव पर विस्तार से वर्णन किया है। आचार्य बताते हैं कि कभी भी ऐसे लोगों से कभी मित्रता नहीं करनी चाहिए। जो आपके मुंह पर अच्छी बातें बोलते हैं और पीठ पीछे आपकी बुराई करते हैं। ऐसे मित्र के साथ रहकर आप हमेशा मुसीबत में फंस सकते हैं। आचार्य चाणक्य ने ऐसे स्वभाव वाले मित्र को विष के सामान बताया है।
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