Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य की नीतियां विश्व प्रसिद्ध है। सभी लोग आचार्य को अपना मार्गदर्शक समझते हैं। आचार्य चाणक्य पेशे से नीतिकार, सलाहकार, रचनाकार और अर्थशास्त्री थे। सभी राजा महाराजा को शिक्षा भी दिया करते थे। आचार्य से शिक्षा प्राप्त कर सभी राजा प्रजा पर शासन किया करते थे।
आचार्य ने महिला एवं पुरुषों के जीवन पर व्याख्या अपनी नीति में किया है। वहीं आचार्य ने पति-पत्नी के जीवन पर भी व्याख्या किया है। इसी तरह इस नीति में आचार्य ने इन चार चीजों पर व्याख्या किया है, जिसको आज हम विस्तार से जानेंगे। तो आइए जानते हैं।
इस श्लोक में आचार्य ने किया है व्याख्या
हतं ज्ञानं क्रियाहीनं हतश्चाज्ञानतो नरः ।
हतं निर्णायकं सैन्यं स्त्रियो नष्टा ह्यभर्तृकाः ॥
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इस श्लोक से क्या निकलता अर्थ
आचार्य चाणक्य ने इस नीति में कई सारी चीजों पर व्याख्या किया है। इसमें आचार्य ने बताया है कि आचरण के बिना व्यक्ति का ज्ञान व्यर्थ है। वहीं अज्ञानता से मनुष्य नष्ट हो जाता है। सेना का नष्ट होना सेनापति के बिना तय है। इसके अलावा पति के बिना पत्नी का नष्ट हो जाता है।
इसमें आचार्य ने कई सारी चीजों की विशेषताओं के बारे में बताया है। आचार्य बताते हैं व्यक्ति कितना भी ज्ञानी क्यों न हो जाए अगर उसके पास आचरण नहीं है तो उस व्यक्ति का ज्ञान व्यर्थ है। इसके अलावा अज्ञानता से मनुष्य भी नष्ट हो जाता है। सेना का वर्चस्व तब तक है जब तक उसके साथ सेनापति का साथ है। सेनापति के बिना सेना का नष्ट होना तय है। इतना ही नहीं पत्नी अपने पति के बिना नष्ट हो जाती है।
कहते हैं, पति अपनी पत्नी का रक्षक होता है। अगर पति की मौजूदगी न हो तो पत्नी नष्ट हो जाती है। हालांकि आज समय बदल रहा है। सभी महिलाएं शिक्षा प्राप्त कर रही हैं और खुद के पैर पर खड़ी हो रही हैं। इससे उन्हें किसी भी व्यक्ति की जरूरत नहीं पड़ती है।
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