Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य की नीतियां विश्व प्रसिद्ध है। चाणक्य नीति एक ग्रंथ है, जिसके रचनाकार स्वयं आचार्य चाणक्य हैं। आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति में कई सारी चीजों का उल्लेख किया है। आचार्य ने जीवन से जुड़ी बातों को पन्नों में पिरो कर दिखाया है। आज के समय में आचार्य सभी के लिए मार्गदर्शक हैं। इनकी नीतियों से ज्ञान लेकर सभी जीवनयापन करते हैं।
आचार्य ने अपनी नीति में महिला एवं पुरुष के विषय में विस्तार से व्याख्या किया है। इसके अलावा उन्होंने पति-पत्नी के संबंध को भी दर्शाया है। आज इस आर्टिकल में हम जिस नीति के बारे में जानेंगे उसमें आचार्य ने कई सारी चीजों को उल्लेख किया है। तो आइए जानते हैं।
इस नीति में आचार्य ने किया है व्याख्या
को हि भारः समर्थानां किं दूरं व्यवसायिनाम् ।
को विदेशः सुविद्यानां कः परः प्रियवादिनाम् ॥
इस नीति से क्या निकलता अर्थ
इस नीति में आचार्य ने कई सारी चीजों को उल्लेख किया है। आचार्य बताते हैं कि शक्तिशाली लोगों के लिए कोई भी कार्य कठिन नहीं होता है। वहीं व्यापारियों के लिए कोई भी स्थान दूर नहीं होता है। इसके अलावा पढ़े-लिखे लोगों के लिए कोई भी स्थान विदेश नहीं होता है। वो लोग कहीं पर भी अपनी पहचान बना लेते हैं। उनके लिए जीवन में आगे बढ़ना बेहद आसान होता है। पढ़े-लिखे व्यक्ति कभी भी किसी के मोहताज नहीं होते हैं।
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इसके अलावा आचार्य बताते हैं कि जो व्यक्ति मधुरभाषी है, उसके लिए कोई पराया नहीं है। वो किसी के भी मन को आसानी से मोह लेता है। इसलिए आचार्य बताते हैं, जो लोग ज्ञान से लबरेज होते हैं उन्हें कोई भी नहीं हरा पाता है। वो लोग हमेशा आगे बढ़ते रहते हैं। वहीं मधुर बोलने वाले लोगों को भी कभी पीछे मुड़कर नहीं देखना पड़ता है। वो लोग हमेशा दूसरों को खुद की बातों से अपना बना लेते हैं।
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