Chanakya Niti: चाणक्य नीति से विश्व प्रसिद्ध धर्म ग्रंथ है। इसके रचनाकार आचार्य चाणक्य हैं। आचार्य पेशे से नीतिकार, सलाहकार और अर्थशास्त्री थे। इनकी नीतियां विश्व प्रसिद्ध है। इसके अलावा आचार्य आज के समय में सभी व्यक्ति के लिए मार्गदर्शक हैं।
आचार्य चाणक्य ने व्यक्ति के व्यक्तित्व एवं कर्तव्य को अपनी नीति में दर्शाया है। इतना ही नहीं, आचार्य ने व्यक्ति के जीवन की कुछ मूल मंत्र को भी नीति में बताया है। इसके अलावा आचार्य बताते हैं कि व्यक्ति जैसे भाग्य को लेकर जन्म लेता है उस व्यक्ति की बुद्धि उसी प्रकार प्रवृत्त होती है। तो आइए विस्तार से जानते हैं क्या कहना चाहते हैं आचार्य।
इस श्लोक में आचार्य ने किया है व्याख्या
तादृशी जायते बुद्धिर्व्यवसायोऽपि तादृशः ।
सहायास्तादृशा एव यादृशी भवितव्यता ॥
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इस श्लोक से क्या निकलता अर्थ
आचार्य चाणक्य इस श्लोक में बताते हैं कि जो व्यक्ति जैसा भाग्य लेकर जन्म लेना है उसकी बुद्धि उसी प्रकार काम करती है। बता दें, बुद्धि से ही व्यक्ति निरंतर आगे बढ़ता है और भविष्य के लिए क्षेत्र का चुनाव करता है। वो हमेशा अपने लिए उन्हीं काम धंधा को चुनता है जिससे वो आगे बढ़ सके।
आचार्य इस नीति में कहते हैं कि, व्यक्ति अपनी बुद्धि के अनुसार ही काम धंधे का चुनाव करता है। व्यवसाय और काम से ही व्यक्ति का विचार स्पष्ट होता है। इसके अलावा उसके काम में जो लोग भी मिलते हैं वो भी व्यक्ति के विचारों के अनुरूप होते हैं।
इस नीति से क्या निकलता निष्कर्ष
इस श्लोक में आचार्य ने व्यक्ति के बुद्धि के विषय में व्याख्या किया है। आचार्य बताते हैं, व्यक्ति अपनी बुद्धि से अपनी जिंदगी बदल देता है। इसलिए एक बुद्धिमान व्यक्ति ही अपना भाग्य उस क्षेत्र में स्थापित कर सकता है जहां पर वो काम करना चाहता है। इसके अलावा उसके स्वभाव एवं विचार से ही उसे लोगों की प्राप्ति होती है।
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