Jaya Kishori: सोशल मीडिया पर जया किशोरी का नाम खूब सुर्खियों में रहता है। जया किशोरी एक ‘हिंदू कथावाचक’ हैं, जो पौराणिक कथाओं और प्रभु कृष्ण की लीलाओं का गान करती हैं। जया किशोरी (Jaya Kishori) के उपदेश सुनने देश-दुनिया के विभिन्न हिस्सों से लोग उनके दरबार में जाते हैं। जया किशोरी के उपदेश सोशल मीडिया (Social Media) के विभिन्न प्लेटफॉर्म पर भी खूब ख्याति बटोरते हैं। जया किशोरी महिला, पुरुष, बुजुर्ग व युवाओं के लिए बेहद अच्छी-अच्छी बातें कहती हैं जिस पर अमल कर लोग सुखद जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
सोशल मीडिया पर जया किशोरी के उपदेश का एक अंश तेजी से वायरल है जिसमें वो युवाओं के नाम खास संदेश जारी करती नजर आ रही हैं। ये संदेश युवाओं की सफलता-असफलता से जुड़ा है। जया किशोरी (Motivational Speaker) द्वारा दिए गए इस उपदेश को सुनकर युवाओं की आंखें खुल सकती हैं और वे सही दिशा में प्रयास कर अपने भविष्य को उज्जवल कर सकते हैं।
Jaya Kishori का संदेश सुन खुल जाएंगी युवाओं की आंखें
कथावाचक जया किशोरी युवाओं को संबोधित करते हुए कहती हैं कि जब भी आप कोई डिग्री या रास्ता चुन रहे हों तो ये सोचकर मत चुनिए कि सफल होने के बाद जीवन कैसा होगा? ऐसा इसलिए है क्योंकि अक्सर लोग किसी सफल व्यक्ति को देख अपना रास्ता चुन लेते हैं और उसके तामझाम से प्रभावित होते हैं। लोगों के मन में ये बात आती है कि सफल व्यक्ति अपनी जीवन अच्छे से व्यतीत कर रहा है तो हम भी इस डिग्री या रास्ते के सहारे सफलता की सीढ़ी चढ़ जाएंगे।
जया किशोरी (Jaya Kishori Motivational Speech) कहती हैं कि लोग तामझाम तो देख लेते हैं लेकिन उस सफल व्यक्ति के संघर्ष को नजरअंदाज करते हैं। इसके बाद जब उनके सामने संघर्ष आता है तो मैदान छोड़ भाग खड़े होते हैं। ऐसे में अगर युवा वर्ग किसी एक रास्ते को चुनता है तो इसके लिए उसे अपना सर्वस्व न्योछावर करने की क्षमता विकसित करनी होगी और संघर्ष का रास्ता चुनना होगा। इसी के सहारे सफलता की सीढ़ी चढ़ी जा सकती है और भविष्य उज्जवल बनाया जा सकता है।
जानें किससे दोस्ती करें युवा?
जया किशोरी (Jaya Kishori) ने युवाओं को ये भी बताया है कि दोस्त किसे बनाएं? किससे दोस्ती करें? जया किशोरी कहती हैं कि दोस्त अच्छे बनाओ। अच्छे का अर्थ है कि आपकी मानसिकता मिलती-जुलती हो। आदते भले ही भिन्न हों, लेकिन मानसिकता मिलनी चाहिए। ऐसी मित्रता हो तो युवा सफलता की राह पर अवश्यक चल सकेगा। उनका कहना है कि मानसिकता की भिन्नता दो लोगों को एक साथ कभी नहीं चलने देती है। ऐसे में आदतें चाहें जैसी हो, समान मानसिकता वाले लोगों से ही मित्रता करनी चाहिए।