Premanand Maharaj: पुरुष हो या महिला, एक-दूसरे के प्रति आकर्षण होना सामान्य होना है। हालांकि, कुछ एक ऐसी परिस्थितियां होती हैं जब ये आकर्षण मनुष्षों के लिए दुर्गति का कारण बन सकता है। जैसे यदि आप विवाहित हैं और अपनी पत्नी के बजाय आप पराई स्त्री के प्रति आकर्षित हैं। इस स्थिति में आकर्षण होना गलत माना जाता है। गुरु प्रेमानंद महाराज (Premanand Maharaj) का कहना है कि यदि विवाहित होने के बाद कोई पराई स्त्री के प्रति आकर्षित है तो उसकी दुर्गति निश्चित है। प्रेमानंद महाराज ने ऐसी स्थिति से बचने और इसके संभावित दुष्परिणामों के बारे में विस्तार से बताने की कोशिश की है। प्रेमानंद महाराज का कहना है कि लोगों को दूसरी स्त्रियों के प्रति मन में आकर्षण का भाव भूलकर भी नहीं लाना चाहिए।
पत्नी के बजाय पराई स्त्री के प्रति है आकर्षण तो सुनें Premanand Maharaj की ये खास बात!
भजन मार्ग नामक यूट्यूब चैनल से जारी किए गए एक वीडियो में प्रेमानंद महाराज ऐसे लोगों को उपदेश दे रहे हैं जो अपनी पत्नी के बजाय पराई स्त्री के प्रति आकर्षित होते हैं।
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प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि “ऐसा नहीं होना चाहिए। खास बात ये है कि ये सब चमड़ी का खेल है। यहां मलाशय, मूत्राशय कुछ खास बात या कहीं सोने के अंग नही लगा है। कहीं हीरा-जवारात के अंग नहीं बने हैं। सब मांस के बने हैं और सब मल-मूत्र के द्वार हैं। बुद्धि मलीन हो चुकी है इसीलिए आकर्षण है। आकर्षण को मिटाने के लिए हमारे शास्त्र ने पानीग्रहण संस्कार, व्याह का विकल्प दिया। ताकि आप सीमित हो कर रहें और एक दिन अपने आप बैराग्य हो जाएं। सच्ची मानों, आप एक पत्नी में आसिप्त हो जाइए। कुछ दिनों बाद, आपको व्यविचार से घृणा होने लगेगी। यदि आप दूसरी-माताओं बहनों की तरफ देखोगे तो कामशक्ति बढ़ती जाएगी और तुम्हें विश्वास होगा कि इसमें सुख है। ये विश्वास आगे ऐसी जगह फसाएगा कि तुम झेल नहीं पाओगे।”
प्रेमानंद महाराज ने बताया पराई स्त्री को कामदृष्टि से देखना क्यों है सर्वनाश का निमंत्रण?
गुरु प्रेमानंद महाराज का कहना है कि “जब आचरण बिगड़ जाता है तो अंदर और बाहर दोनों तरफ से सुधरना संभव नहीं होता। जब किसी पराई स्त्री पर नजर डालोगे, तो उसके संरक्षक (पिता, भाई, पति) की चपेट में आओगे। यदि कोई नहीं है तो काल की चपेट में आओगे। व्यविचारी को कभी भी सुख-शांति नहीं मिलती। अगर व्याह हुआ है तो अपनी पत्नी के साथ ही भगवत भाव के साथ रहो। उसे प्रभु का रूप मानों। लेकिन यदि उदंडता बनी रही तो दुर्गति पक्की है। इसीलिए नेत्र चराना बंद करो।”
महिलाओं को दैविय शक्त बताते हुए प्रेमानंद महाराज (Premanand Maharaj) कहते हैं कि “ये (महिला) दैवीय शक्ति हैं। जितना बुरा इनके बारे में देख कर सोचोगे तुम्हारी सुकृति नष्ट हो जाएगी और आगे तुम्हें दु:ख मिलेगा। इसीलिए बहुत होश में रहो। जरा सी गलती जीवन को नष्ट कर देगी। पराई स्त्री के साथ संभोग करने वालों की बहुत दुर्गति होनी है। ऐसे में ये गलती कदाचित नहीं होनी चाहिए। दूसरी माताओं, बहनों को कामदृष्टि से देखने का मतलब है अपने सर्वनाश का निमंत्रण देना। ऐसे में यदि कभी ऐसा अवसर मिले भी तो हाथ जोड़ कर आगे बढ़ें।”