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Premanand Maharaj: पति के भक्ति भाव से ‘शादी’ पर सवाल उठाती है पत्नी! गुरु प्रेमानंद द्वारा दिए सुझाव से होगा निपटारा

Premanand Maharaj: गृहस्थ जीवन और भक्ति भाव को साथ लेकर चलना कितना कठिन है? गृहस्थ और भक्ति भाव में कैसे सामंजस्य स्थापित करें? यदि पति के भक्ति भाव से 'शादी' जैसे पवित्र बंधन पर सवाल उठता है तो इसके लिए गुरु प्रेमानंद महाराज ने तार्किक अंदाज में एक सुझाव पेश किया है। प्रेमानंद महाराज द्वारा दिए सुझाव पर अमल कर इस समस्या से निपटारा पाया जा सकता है।

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Premanand Maharaj
सांकेतिक तस्वीर

Premanand Maharaj: गृहस्थ जीवन और भक्ति भाव को साथ लेकर चलना कितना कठिन है? गृहस्थ और भक्ति भाव में कैसे सामंजस्य स्थापित करें? यदि पति के भक्ति भाव से परेशान होकर पत्नी ‘शादी’ जैसे पवित्र बंधन पर सवाल खड़ा करती है तो क्या करें? इस तरह के तमाम आज कल चर्चाओं का विषय बने हैं। प्रेमानंद महाराज (Premanand Maharaj) के दरबार में भी कुछ इसी तरह के मिलते-जुलते सवाल पूछे गए। गृहस्थ जीवन और भक्ति भाव को लेकर पूछे गए सवाल का जवाब प्रेमानंद महाराज ने इतने तार्किक भरे अंदाज में दिया जिसे सुन लोगों की आंखें खुल सकती हैं। गुरु प्रेमानंद महाराज ने बताया कि कैसे गृहस्थ जीवन और भक्ति भाव को साथ लेकर चला जा सकता है।

पति के भक्ति भाव से ‘शादी’ पर सवाल उठाती है पत्नी, तो अपनाएं Premanand Maharaj का सुझाव!

‘मैं दिन-रात राधा-कृष्ण की भक्ति में डूबना चाहता हूं। परंतु, पत्नी को संसार से बहुत ज्यादा मोह है। ज्यादा भक्ति करने की कोशिश करता हूं तो कहती है शादी क्यों की थी? कृपया मार्गदर्शन करें।’ ये सवाल गुरु प्रेमानंद महाराज (Premanand Maharaj) के दरबार में एक ऐसे साधक ने पूछा जो राधा-कृष्ण की भक्ति भाव में डूबना चाहता है। प्रेमानंद महाराज ने बड़े ही तार्किक अंदाज में अपने अनुयायी को जवाब दिया।

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प्रेमानंद महाराज ने कहा कि “आपका स्वान कमजोर है। पत्नी का दोष नहीं है, आपका दोष है। जो नाटक मंच पर नाटक मिले उसे अच्छी तरह से निभाया जाता है, तभी इनाम मिलता है। क्या अभिनेता है? क्या अभिनय किया? कहा जाता है न। तुम्हें अभिनय मिला है पति का, तुम पति के अभिनय में कमजोर मत बनो। भक्ति हृदय का विषय है, अभिनय जो तुम्हें इस रंग-मंच पर मिला है वो है गृहस्थी का अभिनय। ऐसे में यदि बाबा जी का अभिनय करोगे तो पिटोगे ही। हृदय में भक्ति का रंग चढाओ और बाहर से वैसे ही रहो जैसे, साधारण लोग रहते हैं। बाहर से माला मत पहनो, बाहर से मत दिखाओ कि मैं बहुत भक्त हूं, नहीं तो परेशानी आ ही जाएगी।”

गुरु प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि “सबको लगना चाहिए कि तुम साधारण आदमी हो, अंदर से राधा-राधा का जप कर मस्ती में रहो। भक्ति अंदर का विषय है। गृहस्थी स्वीकार न किए होते तो बाहर हृदय से भक्ति करते। लेकिन जो स्वांग मिले, वैसे ही चलना चाहिए। जब आप एक गृहस्थ जीवन जी रहे हैं तो फिर वैसे ही रहे। जब करो भगवान की भक्ति करो और पत्नी को प्यार दो। क्योंकि उसने तुम्हारा पानीग्रहण किया है।”

पत्नी का हृदय जला तो क्या हो सकता है? प्रेमानंद महाराज ने सब कुछ बताया

‘पत्नी का हृदय जला तो तुम्हारी कामना कभी नहीं पूर्ण होगी।’ ऐसा कहना है गुरु प्रेमानंद महाराज (Premanand Maharaj) का। प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि “आप भगवान को अंदर से पकड़ो। अपना हाथ पकड़ कर ले चलो तो तुम्हारा भी कल्याण, उसका भी कल्याण। यदि ऐसा बोले कि हमे तुमसे (पत्नी) मतलब नहीं है तो पिटोगे। पत्नी का हृदय जले और तुम्हारी कामना सत्य हो तो बताना। यदि पत्नी की हृदय जला तो तुम्हारी भक्ति चौपट हो जाएगी।”

प्रेमानंद महाराज का कहना है कि “शादी खिलवाड़ नहीं है। तुमने भगवान, अग्नि या ब्राह्मण को साक्षी मानकर शादी किया है। इसीलिए सब कुछ अच्छे से करो। भाई से भाई की तरह, बहु से बहु की तरह, पिता और मां से उनका बनकर मिलो। सबसे बेहतर सामंजस्य स्थापित कर चलोगे तो अच्छा होगा। सभी में भगवान विराजमान है। भक्ति नाटक नहीं है। पत्नी और पति एक-दूसरे के अर्धांग हैं। ऐसे में भक्ति भाव के साथ ही आपसी संबंध के सामंजस्य को स्थापित करो तभी कल्याण हो सकेगा।”

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