Saturday, December 21, 2024
Homeख़ास खबरेंPremanand Maharaj ने बताया सच्चे प्यार की पहचान का आसान तरीका! उपदेश...

Premanand Maharaj ने बताया सच्चे प्यार की पहचान का आसान तरीका! उपदेश सुन खुली की खुली रह जाएंगी आंखें; Video

Date:

Related stories

Premanand Maharaj: ‘मोबाइल से गंदी बातें देखना..,’ नए साल में नई शुरुआत करने को हैं इच्छुक, तो सुनें गुरु प्रेमानंद की ये बात

Premanand Maharaj: नए साल की शुरुआत से पहले इसको लेकर उत्साह बढ़ता नजर आ रहा है। पुरुष से लेकर महिलाएं, बुजुर्ग व बच्चें, आगामी वर्ष में नई शुरुआत करने को आतुर हैं। उनके मन में तमाम तरह के सवाल भी हैं। ऐसा ही एक युवा है जिसकी उम्र 18 वर्ष है और वो ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहता है।

Premanand Maharaj: ‘गंदी क्रिया’ व ‘डिप्रेशन’ का शिकार बन चुके युवाओं के लिए रामबाण है गुरु प्रेमानंद का सुझाव! दूर होगी समस्या

Premanand Maharaj: आधुनिकता के इस दौर में युवाओं के समक्ष कई तरह की परेशानिया हैं। सुख-सुविधा का भोग कर रहे युवा भी डिप्रेशन और गंदी क्रिया का शिकार बन सकते हैं।

Premanand Maharaj: युवाओं में है शराब की लत तो क्या करें अभिवावक? गुरु प्रेमानंद द्वारा बताए उपाय से झटपट होगा समाधान

Premanand Maharaj: राधा केली कुंज आश्रम में सवालों की बौछार होती रहती है। प्रेमानंद महाराज के आश्रम में पहुंचने वाले अनुयायी अपने हिस्से की कई सवाल उनके समक्ष रखते हैं। कोई निजी जीवन में आ रही परेशानियों का जिक्र करता है तो कोई आर्थिक व अन्य कई तरह की दिक्कतों की बात करता है।

Premanand Maharaj: अधिक से अधिक ‘धन’ कमाने की लालसा रखने वाले हो जाएं सावधान! गुरु प्रेमानंद की बातें आंखें खोल देंगी

Premanand Maharaj: आधुनिकता और धन कमाने की लालसा के बीच प्रेमानंद महाराज का एक खास उपदेश सुर्खियों में है। दरअसल, वर्तमान में लोग अधिक से अधिक धन कमाने की लालसा रखते हैं। कई ऐसे भी लोग होते हैं जो धन कमाने के लिए अधर्माचरण के मार्ग पर चलने से भी नहीं संकोच करते।

Premanand Maharaj: गर्लफ्रेंड के धोखा देने के बाद ‘बदला’ लेने की है भावना! गुरु प्रेमानंद की बात सुन आंखें खुली की खुली रह जाएंगी

Premanand Maharaj: युवाओं का रोना, परेशान रहना, दूसरों पर झल्लाना, ये सब कुछ एक विशेष परिस्थिति में होता है। जैसे कि युवा के किसी पारिवारिक समस्या, आर्थिक समस्या या निजी (ब्रेकअप) समस्या से जूझने की परिस्थिति।

Premanand Maharaj: आधुनिकता के इस दौर में प्रेम को लेकर बहुत भ्रम है। सच्चे प्रेम की परिभाषा अपने-अपने सुविधानुसार गढ़ ली जाती है। युवा पीढ़ी इस सवाल को लेकर उलझन में भी नजर आती है। कई ऐसे युवा हैं जो सच्चे प्यार की पहचान करने के तरीकों को लेकर उलझन में रहते हैं। प्रेमानंद महाराज ने ऐसे युवाओं का उलझन दूर करने के लिए बेहद ही तार्किक अंदाज में एक उपाय सुझाया है। प्रेमानंद महाराज (Premanand Maharaj) ने एक युवक द्वारा पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए बताया है कि सच्चे प्यार की पहचान कैसे की जा सकती है। आइए हम आपको प्रेमानंद महाराज के उपदेश के बारे में विस्तार से बताते हैं।

Premanand Maharaj ने बताया सच्चे प्यार की पहचान का तरीका!

‘हम किसी से प्यार करते हैं तो क्या हमें उससे भी अपने लिए उतने ही प्यार की उम्मीद करनी चाहिए? किसी भी वस्तु व्यक्ति से लगाव ना रखते हुए प्रेम कैसे किया जा सकता है? हम किसी से सच्चा प्रेम करते हैं तो इसकी पहचान कैसे करें?’ ये सभी सवाल उस युवक के हैं जो अपने मन में उठ रहे तमाम उलझनों का जवाब जानने प्रेमानंद महाराज के दरबार पहुंचा है।

प्रेमानंद महाराज युवक को जवाब देते हुए कहते हैं कि “प्रेम तो ऐसा होता है तभी तो यहां प्यार को प्यार नहीं, राग, मोह, काम कहते हैं। यहां प्यार थोड़ी कहते हैं। यहां तो प्यार के नाम पर वासनाओं का खेल होता है। मेरे अनुकूल चलो, इसे प्यार नहीं कहते, इसे स्वार्थ, वासना, काम, राग, मोह कहते हैं। आपके लिए हम प्राण दे सकते हैं। आपको अगर वह प्यारा लगता है तो मैं जीवन भर आपको उससे मिलाता रहूंगा, लेकिन आपको कभी आंच नहीं आने दूंगा क्योंकि मैं आपको प्यार करता हूं। आपसे मैं प्यार करता हूं, मेरे सामने आप अपनी प्यारी वस्तु को ग्रहण करें मुझे हर्ष होगा। इसे प्यार कहते हैं।”

गुरु प्रेमानंद कहते हैं कि “वासनाओं का खेल खेलने वालों को प्यार का नाम दे दिया गया, ये प्यार थोड़ी है वासनाओं का खेल है। प्यार प्यार का मतलब होता है मैं तुम्हें प्यार करता हूं तुम्हारी जितनी प्यारी वस्तु होगी उसकी सुरक्षा मैं करूंगा और तुम्हें तुम्हारी प्यारी वस्तु दिलाऊंगा। उसे प्यार कहते हैं। हम बच्चों से कहते हैं प्यार करने के लिए हम निषेध नहीं करते, हम निषेध करते हैं गंदे आचरण और व्यविचार करते वालों का। तुम दोस्ती करो, अपनी बहन के साथ कैसे रहते हो, वैसे रह सकते हो बनाओ दोस्त। लेकिन तुम्हारी वासना, दोस्ती का नाटक करके केवल शोषण करना होता है। इसीलिए सबकी बुद्धि भ्रष्ट होती जा रही है।”

प्रेम भाव को लेकर गुरु प्रेमानंद महाराज ने कह दी बड़ी बात

वर्तमान आचरण को देखते हुए प्रेमानंद महाराज (Premanand Maharaj) कहते हैं कि “पहले वर्षों तक एक-दूसरे के साथ खेलने वाले बच्चों को पता नहीं होता था कि स्त्री शरीर या पुरुष शरीर का कोई आकर्षण होता है। आज 10, 12 वर्ष के बच्चे को पूरा ज्ञान है। हम इसे प्यार नहीं मानते। अपने प्यारे को सुख देना है तो प्यार करो। आज सुख लेने के भाव को प्यार कहा जाता है। हम तुमसे प्यार करते हैं, तुम हमारी बात मान जाओ। यह कोई बात नहीं होती। आपको उठा कर भगवान तक पहुंचाने के लिए प्रेम करते हैं। जरूरत पड़ने पर अपने प्राण आपको समर्पित कर सकते हैं। प्यार का मतलब होता है सुख पहुंचाना। सुख लेना धंधा है, प्यार नहीं है। प्यार शब्द बहुत निर्मल होता है।”

प्रेमानंद महाराज आगे कहते हैं कि “अगर हम किसी से प्यार करें तो उसमें भगवान नहीं प्रकट कर सकते। हम पाषाण की मूर्ति में भगवान प्रकट कर लेते हैं। प्यार के बल से हम मिट्टी की मूर्ति में भगवान प्रकट कर लेते हैं। हम छवि में भगवान प्रकट कर लेते हैं, तो इनमें भगवान नहीं प्रकट कर सकते। हम जिसे प्यार करें, उसे अपना भगवान मान लें और उसको सुख पहुंचाने लगे तो वहीं भगवान प्रकट हो जाएंगे। जब हमारे धर्म की पद्धति है कि हम पानी ग्रहण करके ही फिर इस कार्य को करते तो शास्त्र मर्यादा में रहो। जब आपने खुद को पवित्र रखा नहीं, तो पत्नी व्रत या पति व्रत कैसे रहोगे? यदि ऐसा नहीं किया तो गृहस्ती किस काम की रह गई। यदि पत्नी किसी और से मिले, पति किसी और से मिले तो वह जीवन नर्क के समान है।”

नोट– भजनमार्ग के आधिकारिक यूट्यूब चैनल से जारी वीडियो में 29वें मिनट से 32 मिनट के बीच यहां लिखे गए अंश को सुना जा सकता है।

Gaurav Dixit
Gaurav Dixithttp://www.dnpindiahindi.in
गौरव दीक्षित पत्रकारिता जगत के उभरते हुए चेहरा हैं। उन्होनें चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से अपनी पत्रकारिता की डिग्री प्राप्त की है। गौरव राजनीति, ऑटो और टेक संबंघी विषयों पर लिखने में रुची रखते हैं। गौरव पिछले दो वर्षों के दौरान कई प्रतिष्ठीत संस्थानों में कार्य कर चुके हैं और वर्तमान में DNP के साथ कार्यरत हैं।

Latest stories