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पति-पत्नि को इन दिनों में नहीं बनाने चाहिए यौन संबंध, जानें क्या है शास्त्रीय नियम?

When to Avoid Sex: शास्त्रीय मतों के अनुसार नवरात्र, अमावस्या, मकर संक्रांति और पितृ पक्ष के दिनों में यौन संबंध से परहेज करना चाहिए।

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When to Avoid Sex
फाइल फोटो- प्रतीकात्मक

When to Avoid Sex: पुरुष और महिला, ब्रह्माण्ड के वो दो प्रमुख जीवित तत्व हैं जिनके कारण सृष्टि में मानव जीवन को आगे निरंतर रफ्तार मिलती है। पुरुष और महिला विपरीत लिंग के कारण स्वभाविक रूप से एक-दूसरे की ओर आकर्षित होते हैं और विवाह के उपरांत यौन संबंध भी बनाते हैं। हालाकि शास्त्रीय नियमों के अनुसार कुछ ऐसे भी दिन होते हैं जब वैवाहित दंपति को भी शारीरिक संबंध नहीं स्थापित करने चाहिए। ऐसे में आइए हण आपको इसके बार में विस्तार से बताते हैं।

यौन संबंध को लेकर क्या है शास्त्रीय नियम?

पति-पत्नि का रिश्ता बेहद पवित्र रिश्ता माना जाता है और इसी रिश्ते पर सृष्टि का विस्तार होना भी आधारित है। विपरीत लिंग होने के कारण दोनों के बीच आकर्षण होना स्वाभाविक और सत्य है। माना जाता है कि पुरुष और स्त्री एक-दूसरे के पूरक हैं और परंपराओं के अनुसार इनके संगम से पवित्र घटना होती है जिसे आम बोल-चाल की भाषा में यौन संबंध कहा जाता है।

वैवाहिक दंपति के बीच यौन संबंध बनाए जाने को लेकर कई तरह की भ्रातियां भी हैं। हालाकि हम आपको यौन संबंध से जुड़े कुछ शास्त्रीय मान्यताओं के बारे में बताएंगे कि किन दिनों में शारीरिक संबंध बनाने से परहेज करना चाहिए।

मान्यता है कि नवरात्र के नौ दिन भक्ति में लीन रहने के लिए होते हैं। ऐसे में इस दौरान लोग व्रत भी रखते हैं। शास्त्रीय मान्यताओं के अनुसार नवरात्र के दौरान स्त्री-पुरुष के बीच शारीरिक संबंध स्थापित होना निषेध बताया गया है। इसके अलावा मकर संक्रांति पर भी पति-पत्नी का नजदीकी कायम करना अशुभ माना जाता है और इससे उनके रिश्ते पर दुष्प्रभाव पड़ सकता है। ऐसे में इस दिन भी शारीरिक संबंध बनाने से परहेज करना चाहिए।

श्राद्ध के दौरान साथी के निकट जाने से बचें

वैवाहिक दंपति को श्राद्ध के दौरान भी एक-दूसरे के निकट जाने से बचना चाहिए। बता दें कि भाद्रपद माह (सितंबर) की पूर्णिमा तिथि से अमावस्या तक पितृ पक्ष रहता है। इस दौर को शास्त्रीय नियमों के अनुसार श्राद्ध का काल कहा जाता है। दरअसल इन दिनों में लोग अपने पितरों को स्मरण करते हुए उनकी पूजा-अर्चना करने का होता है और उनकी आत्मा की शांति के लिए पूजा, यज्ञ और हवन करवाते हैं। इसलिए मन, तन से शुद्धि रहना बेहद जरूरी होता है। ऐसे में इन दिनों शारिरीक संबंध बनाने से परहेज करना चाहिए।

श्राद्ध के इस तिथी (पितृ पक्ष) के अलावा विभिन्न व्रत-त्योहार, पूजा-पाठ और उपवास करने के दौरान भी शारीरिक संबंध नहीं बनाना चाहिए। मान्यता है कि इससे शरीर अपवित्र हो जाता है और व्रत या पूजा-पाठ को कोई फल नहीं मिलता है।

डिस्क्लेमर– यह सूचना लोगों को सामान्य जानकारी के लिए सिर्फ मान्यताओं और जानकारी के आधार पर दी गई है। डीएनपी न्यूज नेटवर्क/लेखक किसी भी तरह की मान्यता व जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। ऐसे में आप किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से अवश्य सलाह लें।

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