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69000 शिक्षक भर्ती मामले में Akhilesh Yadav ने योगी सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा, कहा ‘भाजपा परिवारों को दुख’.., जानें पूरी डिटेल

Akhilesh Yadav: यूपी हाईकोर्ट द्वारा जारी फैसले के बाद यूपी में 69000 शिक्षक भर्ती मामला पूरी तरह से गरमाया हुआ है।

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Akhilesh Yadav
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Akhilesh Yadav: यूपी हाईकोर्ट द्वारा जारी फैसले के बाद यूपी में 69000 शिक्षक भर्ती मामला पूरी तरह से गरमाया हुआ है। एक तरफ जहां शिक्षकों का भविष्य अंधकार में दिख रहा है। वहीं अब इसपर सियासत भी पूरी तरह से गरमा गई है। मालूम हो कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने शिक्षक भर्ती की मेरिट लिस्ट को रद्द कर दिया है। सरकार को 69000 सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा का परिणाम नए सिरे से जारी करने का आदेश दिया है। वहीं अब बांदा कोऑपरेटिव बैंक ने सहायक शिक्षकों से लोक की रिकवरी को लेकर एक निर्देश दिए है। इस आदेश के बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने योगी सरकार पर तंज कसा है और कई आरोप भी लगाए है।

शिक्षकों से लोन वसूली को लेकर जारी किए नए निर्देश

बांदा कोऑपरेटिव बैंक के सचिव ने एक प्रेस नोट जारी किया है, जिसमें से शिक्षकों से लोन वसूली की बात कही गई है। पत्र में लिखा गया है कि 69000 शिक्षक भर्ती मामले का फैसला सप्ष्ट नहीं हो जाता है, तब तक शिक्षकों का लोन भुगतान नहीं किया जाएगा।

Akhilesh Yadav ने योगी सरकार पर साधी निशाना

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने योगी सरकार पर हमला बोलते हुए अपने एक्स हैंडल पर लिखा कि “9000 शिक्षक भर्ती कोर्ट से निरस्त होते ही बांदा डिस्ट्रिक्ट कॉपरेटिव बैंक ने भर्ती हुए शिक्षकों से, बैंक से लिए गए किसी भी प्रकार के ऋण की वसूली का फ़रमान जारी करा और आगे भी किसी भी प्रकार के लोन का रास्ता बंद करने की साज़िश रची। परंतु युवाओं के आक्रोश के आगे ये फ़रमान एक दिन भी टिक नहीं पाया और भाजपा सरकार को इसे भी रद्द करने का आदेश निकालना पड़ गया लेकिन याद रहे उप्र की भाजपा सरकार ये काम मन से नहीं दबाव से कर रही है, इसीलिए इस आदेश को पूरी तरह रद्द नहीं बल्कि कुछ समय के लिए स्थगित मानकर इसका भरपूर विरोध जारी रखना चाहिए।

वैसे तात्कालिक रूप से ये युवा विरोधी भाजपा के विरूद्ध युवा-शक्ति की एकता की जीत है। जिन भर्ती हुए शिक्षकों ने अपने घर-परिवार और बाक़ी सामान के लिए नौकरी की निरंतरता की उम्मीद पर कुछ लोन लिया था तो क्या अब ये सरकार उनके घरों और सामानों को क़ब्ज़े में लेने की साज़िश कर रही है। ये निहायत शर्मनाक कृत्य है कि भाजपा परिवारों को दुख-दर्द देकर सत्ता की धौंस दिखाना चाहती है”।

आर्थिक-सामाजिक-मानसिक रूप से प्रभावित शिक्षक

उन्होंने आगे लिखा कि शिक्षक भर्ती में उप्र की भाजपा सरकार की बदनीयत की जिस तरह फ़ज़ीहत हुई है, शायद उसका बदला वो अभ्यर्थियों से लेना चाहती थी। तभी ऐसे फ़रमान निकलवा रही है। इससे पहले से ही नौकरी खोने के डर से डरे हुए शिक्षकों पर अत्यधिक मानसिक दबाव बढ़ेगा। जब इन लोन की वसूली के लिए बैंक उनके घरों पर जाएगा तो उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा को भी ठेस पहुँचेगी।

इसके दूरगामी नकारात्मक परिणाम निकलेंगे क्योंकि आर्थिक-सामाजिक-मानसिक रूप से प्रभावित शिक्षक का असर शिक्षण पर भी पड़ेगा, जिससे प्रदेश के बच्चों की शिक्षा और उनका भविष्य भी प्रभावित होगा। इसका एक गहरा आघात भर्ती हुए उन शिक्षकों के जीवन पर भी पड़ेगा, जिन्होंने विवाह करके अपना नया-नया वैवाहिक जीवन शुरू किया था और अपने परिवार को पालन-पोषण इसी नौकरी के आधार पर कर रहे थे। वैवाहिक जीवन की ज़िम्मेदारी सिर्फ़ परिवार वाले ही जानते हैं। जनता और परिवारवालों को दुख देकर न जाने भाजपा को क्या सुख मिलता है।

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