UP Nikay Chunav 2023: समाजवादी पार्टी जो हमेशा से ही मुस्लिम और यादवों को साथ लेकर चलने वाली पार्टी मानी जाती है उसने अब इस समीकरण को दरकिनार कर दिया है। समाजवादी पार्टी के बारे में ये कहा जाता है कि यह पार्टी अपने कोर वोटर्स का हमेशा से ध्यान रखती है। इस पार्टी में यादव और मुस्लिम उम्मीदवारों को बराबर का सम्मान मिलता है लेकिन कोलकाता में हुए राष्ट्रीय कार्यकरणी की बैठक के बाद पार्टी ने अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव किया है।
सपा ने वोटर्स को दिया ये संदेश
सपा प्रमुख अखिलेश यादव कोलकाता में अधिवेशन को खत्म कर मंदिर में दर्शन करने पहुंच गए। इसके साथ ही राम मनोहर लोहिया की जयंती पर उन्होंने स्वामी प्रसाद मौर्य को अपने साथ लेकर गए। इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि राम चरित मानस पर हुए विवाद के बाद भी उन्होंने स्वामी प्रसाद मौर्य का साथ नहीं छोड़ा। ऐसे में सपा प्रमुख के इस फैसले से ये अब सिद्ध हो गया है की वह अब अनुसूचित जाति के लोगों को रुझाने की कोशिश कर रहे हैं।
कोलकाता में किया ऐसा काम
कोलकाता में हुए अधिवेशन में पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने यह पहले से तय कर रखा था कि कार्यक्रम में बाबा साहब भीमराव अंबेडकर और राम मनोहर लोहिया के विचारों को मंच पर जगह दी जाएगी लेकिन वहां भी बदलाव देखने को मिल। वहां पर उन्होंने अनसूचित जाती के नेता अवधेश प्रसाद और राम जी लाल सुमन को जगह दी।
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टिकट देते हुए रखा ध्यान
सपा प्रमुख अखिलेश यादव जहां इफ्तार पार्टी में शामिल होकर अपने कोर वोटर्स को आकर्षित करने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ ज्योतिबा फूले की जयंती पर वो कार्यक्रम में एक नए तरह के समीकरण को बाधने में जुटे हुए दिखाई दिए । वहीं निकाय चुनाव में टिकट को देते समय भी उन्होंने कई चीजों का खास ध्यान दिया। इस बार मेयर के चुनाव में केवल एक यादव को टिकट दिया है। वहीं दूसरी तरफ इस चुनाव में अखिलेश यादव ने चार मुस्लिम प्रत्याशियों को टिकट दिया है। इसके साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपने MY वाले समीकरण से हटकर कुर्मी, गुर्जर, कायस्थ, ब्रह्मण को टिकट दिया है। ऐसे में ये माना जा रहा है कि अब सपा बीजेपी के कोर वोटर्स को तोड़ने में जुट गई है।
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